आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

शनिवार, 30 मार्च 2013

मेघवंश के सिंह सपूतो ,आगे कदम बढ़ाना ! अन्यायों के सम्मुख अपना ,मस्तक नही झुकाना !!

मेघवंश के सिंह सपूतो ,आगे कदम बढ़ाना !
अन्यायों के सम्मुख अपना ,मस्तक नही झुकाना !! 
              बहुत सहा हैं हमने अब तक ,आगे नही सहेंगे !
              मेघऋषि के वंशज जग में ,पीछे नही रहेंगे !! 
उत्तर-दक्षिण,पूरब-पश्चिम, सारा देश जगाना !!1 !! मेघवंश ..... 
बीज कपास का बोकर पहले , हमने वस्त्र बनाया !
             तन मानव का ढक कर पहले,उसको सभ्य बनाया !!
             मेघ ऋषि की तप:साधना ,घर-घर गीत सुनाता!!2 !! मेघवंश ..... 
मेघवंश इतिहास हमारा ,'' गोकुल '' मन की वाणी हैं !
संतो की पावन वाणी पर ,मन से ध्यान लगाना !!3 !!  मेघवंश ..... 
             मन्नामेघ,महाचंद दानी ,बलिदानों की गाथा हैं !
             इन वीरो के श्री चरणों में ,तन-मन झुकता माथा हैं !!
झील पिछोला ,तीर्थ पुष्कर ,निर्मल नीर नहाना हैं !!4 !!  मेघवंश ..... 
ऋषि पुराण के साथ-साथ तुम,पुरातत्व को जानो !
            मोहन जोदड़ो राजधानी भी ,मेघऋषि मानो !!
            पुरे भारत का शासक ,उसको तिलक लगाना !!5 !!  मेघवंश ..... 
भिन्न-भिन्न नामो से फैला अपना वंश पुराना !
महा तपस्वी-ऋषिमुनियों का ,गोरवपूर्ण घराना !!
           भटक गए जो पुण्य पंथ से ,उनको राह दिखाना !!6 !! मेघवंश ..... 
            मूल निवासी हम भारत के ,भारत देश हमारा हैं !
इसके जर्रे-जर्रे पर ,पुश्तेंनी अधिकार हमारा हैं !!
जो हमसे टकराए रण में ,उसको धुल चटाना हैं !!7 !! मेघवंश .....
            समता मुलक संविधान भी ,महा 'भीम 'ने दे डाला !
            बंद पड़े थे द्वार प्रगति के ,खोल दिया उसने ताला !!
उठो जवानो आरक्षण, का पूरा लाभ उठाना!!8 !!मेघवंश ..... 
भिन्न -भिन्न भागो बिखरी ,मेघवंश संतान हैं !
            इन्हें जोड़कर एक बनाना ,उत्तम कर्म महान हैं !!
            जागो सोये सूरज जागो ,तुमको देश जगाना हैं !!9 !! मेघवंश ..... 
नवल वियोगी ,गुरु प्रसादजी ,साहित्य सूर्य हैं अपने !
मेघवंश के लाल बढ़े नित ,इनके सुन्दर सपने !!
            इनके जीवन-ग्रंथो को तुम, पढना और पढाना !!1 0 !!
            इष्ट देव हैं रामदेवजी ,मेघो को गले लगाया !
घर-घर जाकर किया जागरण ,सेवा भाव जगाया !!
जीवन नोका पर लगेगी ,प्रतिपल धयान लगाना !!1 1 !!मेघवंश ..... 
           अब तक सबने थामी हैं ,डोर मेघ के रथ की !
           सत्ता तक ले जाना इसको,सीमा इसके पथ की !! 
पथ में आई चट्टानों , हमको दूर हटाना !!1 2 !! मेघवंश ..... 
भीम ,मेघ ,श्री रामदेव की ,पुरे मन से जय बोलो !
          कृपा द्रष्टी से इनको प्यारे ,द्वार प्रगति के खोलो !!
          करो आरती-अर्चना -पूजन ,सेवा दीप जलाना !!12 !! मेघवंश ..... 
   लेखक 
श्री मान प्यारेलाल राँगोठा 
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 
राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा (इंडिया)
सेवा निवृत  प्राचार्य एव गीतकार 
 शरद सदन 
ओसरना (भानपुरा) जिला मंदसोर -म ० प्र ० 

                                                                                         

बुधवार, 27 मार्च 2013

          होली की मस्ती पी० डी० शर्मा के संग 

" होली के रंग दिल में उतरने लगे हैं… मस्ती छाने सी लगी है "……!!!!

     प्रिय सखियों और सखाओं , हाथ जोड़कर-आँख मारकर नमस्कार !! 
                              मेरे एक मित्र हैं , वो जब भी आते हैं तो जिससे हाथ मिलाते हैं उसकी तरफ ना देखकर दुसरे की तरफ आँख मारकर हँसते हुए कहते हैं कि भई ये बड़े आदमी हैं , इनसे तो पहले हाथ मिलाना ही पडेगा !!! उसे मजबूरन उनकी हां में हाँ मिलानी पड़ती थी !! कल वोही मित्र मेरे घर आ धमके ! मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला,मेरी और आँख मारते हुए मेरी पत्नी को नमस्कार करते हुए बोले, भाई !! होली आ रही है पहले भाभी जी को तो नमस्कार करलें अन्यथा होली के दिन गरमागरम पकोड़े और मीठी-मीठी चाय नहीं मिलेगी !! मैं बोला भागवान इस खाऊ यार को आज कुछ खाने को मत देना !! होली वाले दिन ही इसका पकोड़ों से पेट भरना !! मेरी पत्नी बोली नहीं जी मैं तो अपने भाई साहिब को आज भी चाय पिलाऊंगी !! मैंने कहा चीनी कम डालना नहीं तो ये मीठा हो जाएगा तो हमारी भाभी जी को कंही शूगर ना हो जाए …। मैंने भी आँख मारदी अपने मित्र की ओर देखकर , और सब हंस पड़े !!!!!!!
                         चाय शाय के बाद मैंने पूछा कहिये मित्र कैसे आना हुआ तो वो फिर आँख मार कर बोले , होली का क्या प्रोग्राम है ?? मैंने इधर-उधर देखते हुए पहले ये पक्का किया की अबकी बार इन्होने आँख मुझे देखकर ही मारी है या…। सन्तुष्ट होने के बाद प्रोग्राम काहेका ?? घर पर ही रहेंगे यार !! देश -प्रांत  - जिला - नगर और मोहल्ले में ऐसा कोई घटनाक्रम नहीं घटा , जिससे हमें प्रसन्नता हो , और                                                                                  तो और तुम्हारी बहन और हमारी पत्नी भी अब हमें कभी खुश नहीं करती !! बस ….खाना-पूर्ती ही करती है !! बस जी ,मेरा इतना कहना था कि नाजाने कंहा से हमारी होम-मिनिस्टर फुंफकारते हुए आ धमकी और हमें धकियाते हुए बोली 4-4 बच्चों के बाप हो, सारा दिन काम करती रहती हूँ , अभी भी खुश नहीं हो तो जाओ कोई दूसरी ले आओ !! मुझे पता है आजकल फेसबुक पर बड़ी सहेलियां बना रख्खीं हैं !! सारा दिन चेटिंग करते रहते हो और मेरे साथ चीटिंग करते हो तुमने मुझे कौन सी ख़ुशी दी है ???




इतनी देर में मेरे पिता जी ने आवाज़ दी , बोले सब इधर आओ !! हम सबको जैसे सांप सूंघ गया हो !! हम सब डरते हुए बाहर पंहुचे कि आज डांट पड़ेगी कंही पिताजी ने सब सुन तो नहीं लिया……। पिताजी रौब से बोले सब नीचे चौकड़ी मार कर बैठ जाओ…और हम बैठ गए !! पिताजी फिर गरजे … अपनी आँखें बंद करो…!! हमने फ़ौरन अपनी आँखें मूँद लीं !! तभी ठन्डे पानी की बोछार हमारे सर पर गिरी और पिताजी जोरसे हँसते हुए बोले ….होली है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
फिर बोले , इन्सान बड़ी ख़ुशी के इंतज़ार में छोटी खुशियाँ मनाना भूलता जा रहा है !! इसीलिए बीमार होता जा रहा है !! झूमकर छोटी ख़ुशी को भी जो बड़ा बनाये वो ही सच्चा इन्सान है !! जाओ नाचो-गाओ और कल धूम-धाम से सब होली मनाओ !! सदा खुश रहो…।HAPPY HOLIY ............ !!
जो तेरा है - वो मेरा…और जो मेरा है वो तेरा….!!
क्यों मित्रो !! आपका क्या कहना है ,इस विषय पर...??
प्रिय मित्रो, ! कृपया आप मेरा ये ब्लाग " 5th pillar corrouption killer " रोजाना पढ़ें , इसे अपने अपने मित्रों संग बाँटें , इसे ज्वाइन करें तथा इसपर अपने अनमोल कोमेन्ट भी लिख्खें !! ताकि हमें होसला मिलता रहे ! इसका लिंक है ये :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

आपका अपना.....पीताम्बर दत्त शर्मा, हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार , आर.सी.पी.रोड , सूरतगढ़ । फोन नंबर - 01509-222768,मोबाईल: 9414657511
                                     

मंगलवार, 26 मार्च 2013

''''मेघवाल समाज दशा एवं दिशा'''' Meghwal Social Status and Direction

मेघवाल समाज की उत्त्पति ,इस जाती के महान आदर्शो ,परम्पराओ और इतिहास का उल्लेख अनेक लेखको द्वारा किया जाकर इस जाति के प्राचीन गोरव से जन -मानस को समय -समय पर अवगत कराया जाता रहा हैं ! शिक्षा के व्यापक प्रचार -प्रसार के फलसवरूप इस जाति ने प्रशासन , शिक्षा ,चिकित्सा और तकनीकी के काम उच्च पद प्राप्त किये हैं ,साथ ही निजी शेत्रो में भी यह जाति अपनी योग्यता का परचम लहरा कर नित्य विकास की और अग्रसर हैं !डा ०अम्बेद्कर के मूल मन्त्र का प्रथम वाक्य '''शिक्षित बनो '''को अंगीकार कर व् '' education is the most eftertive sathd powerful instrument of social change '''की अवधारणा से समाज नई दिस की और अग्रसर हैं !शिक्षा की बदोलत ही समाज की जर्जर वय्व्स्थाओ में परिवर्तन व् सोच में बदलाव आया हैं यदि इसी रफ़्तार से समाज में शिक्षा का सार्वजनिककरन चलता रहा तो निशित रूप से इस जाती का भविष्य देदित्य्मान रवि के समाज प्रखर बनेगा ,किन्तु वर्तमान में शिक्षितो की संख्यात्मक बढ़ोतरी के साथ- साथ गुणवत्ता बढ़ोतरीभी आवश्यक हैं ,इस हेतु भागीरथी प्रयास किये जाने चाहिए !आज आवश्यकता हैं एसी शिक्षा की जो रोजगार की गारंटी पर्दान करे ,प्रतिस्पर्धा के युग में सवामित्व स्थापित करने के प्रयास कर आर्थिक उन्नति की और बढ़ा जा रहा हैं !अर्थ प्रधान युग में शिक्षा के साथ अर्थ को जोड़कर देखा जाना चाहिए !वस्तुत शिक्षा और आर्थिक उन्नति के साथ -साथ इस जाती को धार्मिक रूप से एक करने वाले धर्मगुरु की आवश्यकता हैं ,जो धार्मिक आडम्बरो व् उन्मद्ताओ से उपर उठकर एकता की राह प्रशस्त कर सके ,एक और जन्हा कतिपय जातीय धर्मगुरूओ के नाम से ऊपर जन सेलाब इकट्ठा कर धार्मिक एकता प्रदर्शित करते हैं वही यह राजनितिक शक्ति प्रदर्शन का रूप लेकर सत्ता पक्ष एवम विपक्ष से भावी लाभ अर्जन का हेतु बनता हैं ,किन्तु विडंबना यह हैं की मेघवाल जाती धार्मिक रूप इ किसी एक आराध्य या धार्मिक गुरु के अधीन नही हैं !अत;हमें सामूहिक रूप से ऐसे धर्म गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करना होगा जो इस जाती को शेक्षिक एवम राजनेतिक उन्नत्ति प्रदान करे !शॆक्षिक एव आर्थिक उन्नति से ही राजनितिक मजबूती प्राप्त होगी !यह आलोचना नही अपितु यतार्थ हैं की राजनीती में समाज का वर्चस्व नही हैं !भले ही संखायाताम्क रूप से हम आगे हैं ,किन्तु विचारशील ,निर्भीक ,योग्य एव उर्जावानो की कमी हैं !दुर्भाग्य की दलित कही जाने वाली जाती को नेता भी अनपढ़ व विचारशून्य ही मिले हैं ,जो व्यक्तिगत स्वार्थो की परिधि लाँघ ही नही पाए !हमें शिक्षित ,विचारवान ,उर्जस्वी एवम जातीय हित के लिए तत्पर व्यक्तित्व वाले नेता को ही समर्थन देना होगा !सवर्णों की सदेव प्रत्येक चुनाव में इस जाती के अयोग्यतम व्यक्ति को समर्थन देकर विजयी बनाने की चाल रही हैं आमूलचूल परिवर्तन सत्ता प्राप्त कर ही किये जा सकेगे ,इस हेतु वार्डस्तर से संसद तक के पदों को प्राप्त करना होगा !नेताओ के लुभावने वादों व लच्छेदार भाषणों से बचकर यथार्थ की पहचान करनी होगी !जाती का विकास केवल गली में सी .सी .रोड व सामूहिक सभा भवन से नही होगा ,कतिपय नेता इनके द्वारा समाज के विकास का दंभ भरकर की राजनेतिक स्वार्थ पूर्ति करते हैं ,हमें ऐसे लोगो से बचकर विकासवादी कार्यो को अपनाने पर बल देना चाहिए ,समाज बहुसंख्यक हैं किन्तु एकता के अभाव में दिशाहीन हो रहा हैं ,फलस्वरूप जाती की वास्तविक उन्नति नही हो पा रही हैं !रोजगार प्राप्ति के उपरांत जाती का व्यक्ति व्यक्तिवादी होकर समाज की उपेक्षा प्राप्त कर रहा हैं अत .उसे सहयोग ,समर्थन व जातीय निष्ठा ही समाज की उपेक्षा से बचा पायेगी !पाठक इसे केवल नकारात्मक विचारधारा न माने अपितु मूल में छिपे यथार्थ को पहचाने !



मेघवंशी समाज को पूर्ण वेभव -सम्पन्न बनाना हैं

कहते तो बहुत हैं ,पर करके दिखाना हैं !

मेघवंशी समाज को  पूर्ण वेभव -सम्पन्न बनाना हैं !!

मै नीव का पत्थर बनू ,कोई मुझको नही  देखे !

दढ दुर्गबना ऊपर .मेघवंशी समाज को उठाना हैं !!

जलता रहूँ पतंगा सा ,हो मुझसे प्रेम ऐसा !

समाज के लिए जीवन वेदी  पे चढ़ना हैं !!

बन जाऊ मै पपीहा ,बस अक ही रट लागू !

संगठन स्वाति-कण से प्यास बुझाना हैं !!

मेघवंशियो के लिए जियेंगे ,मेघवंशियो के लिए मरेंगे !

मेघवंशी का दुःख: हरेंगे,मेघवंशी का कष्ट मिटाना हैं !!

अब सोचना न कुछ भी ,विश्राम नही लेना हैं !

करते रहे निरन्तर सेवा ,अब समाज को जगाना हैं !!

Meghvanshi meghvanshi vebhav-to create a full society concluded the society vebhav-making State!!!
Say so much by the show!
The meghvanshi society vebhav-making State!!!
I am not a stone of banu mujhko niv!
Dadh durgabna. meghvanshi the society!!!
Burns was a moth becomes a bit, I love it!
Society for altar PE chadhnahain!!!
The point, I only just become jau ak papiha, implement!
Quench the thirst of the Swati organization-radicals!!!
Equivalently, for meghvanshiyo meghvanshiyo would die for!
Meghvanshi sad: hearing, erasing the pangs of meghvanshi!!!
Now do not think anything, don't take rest!
Been continued service, societies are awakening now!!! 





मिट गये मेघवंशियो को मिटाने वाले .......

हर तलवार पर मेघवंशियो की कहानी हैं ,
तभी तो दुनिया मेघवंशियो की दीवानी  हैं !
मिट गये मेघवंशियो को मिटाने वाले .......
क्यू की धधकते आग में तपी 
मेघवंशियो की जवानी हैं !!




मेघ हुँकार


                मेघ हुँकार
आँखे खोलो सुस्ती छोड़ो ,ताकत से बिगुल बजाओ रे !
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!
भाग्य हमारा खर्राटो ,अलगाओ की चादर फेको 
अलसाई आँखों को मसलो ,अक सुनहरा सपना देखो !
भाम्बी ,रिखिया ,मेहर ,बलाई ,मेघवाल ,कई नाम अनेको ,
कोस- कोस पर नाम बदलता,नामो पर मत रोटी सेको!
राष्ट्र -पलट पर ,एक मंच पर ,एक नाम से आओ रे ,
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!
हम बेटे हैं मेघ ऋषि  के,अंचल- अंचल लेबल बदलो ,
साथ के ठेकेदारों की ,कुर्सी बदलो ,टेबल बदलो !
आजादी को अर्श बिता ,थोडा- थोडा अब तो संभलो ,
लाल किले तक बढे कारवा ,अंगड़ाई लो इतना दम लो!
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!
सष्टि रची तब ब्रह्माजी को ,ताना बाना दिया हमी ने ,
संत कबीरा,रविदास और जोधल पीर हमी थे  !
माया मेघ ,जीवना दासी ,विरभन सतनामी हमी थे ,
गोकुलदास गरिब घासी ,तिन दिशा मत जाओ रे  !
आँखे खोलो सुस्ती छोड़ो ,ताकत से बिगुल बजाओ रे !
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!

सोमवार, 25 मार्च 2013

कौन कहता है , बेकार है मेघवाल




कोन कहता हैं ,बेकार हैं मेघवाल ,
इश्वर का आशीर्वाद हैं मेघवाल !
सबसे दिलदार और दमदार हैं मेघवाल ,
रण भूमि में तेज तलवार हैं मेघवाल !
पता नही कितनो की जान हैं मेघवाल ,
सच्चे प्यार पे कुर्बान हैं मेघवाल !
यारी करनी तो यारो के यार हैं मेघवाल ,
और दुश्मन के लिए तेज तलवार हैं मेघवाल !
तभी तो दुनिया कहती हैं बाप रे ,
बहुत खतरनाक हैं मेघवाल !






जागो जागो मेघवंशीयोँ जागो


"जागो जागो मेघवंशीयोँ जागो" 
सदियोँ से दबे दलितोँ को थोङा तो ऊपर ऊठने दो
दलित और मजदूर भाईयोँ को अब तो गले लगाने दो
इन बहुमजिँले मकानोँ के नीचे ईन्हे भी कुटिया बसाने दो
"जागो जागो मेघवंशीयोँ जागो"

संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं


                संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं

एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाए कि कौन से जीव-जंतु निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद उसे जानकारी मिली कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी और मकड़ी बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा, क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया। शत्रु के सैनिक उसका पीछा करने लगे। काफ़ी दौड़-भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया। तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई। उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह एक गुफ़ा में जा छिपा। राजा के गुफ़ा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार पर जाला बुन दिया।शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर घना जाला देख कर आपस में कहने लगे, "अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।"गुफ़ा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए। उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी जान न बच पाती। इस संसार में कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है।

तिलक होली


तिलक होली
माण्डवला 22 मार्च --मेघवाल समाज युवा मंडल तेरह गाँव परगना की बैठक रामदेव मंदिर प्रांगण माण्डवला में शुक्रवार को आयोजित की गई !बैठक मेंपानी की बचत का सपना संजोकर इस बार तिलक होली मनाने का संकल्प लिया है।इस अवसर पर भगवानाराम मेघवाल ने पानी का महत्व समझाते हुए पानी बचाने के गुर के साथ-साथ होली पर पक्के रंगों का उपयोग नहीं कर तिलक होली मनाने का निर्णय लिया !अगर हम वाकई पानी बचाना चाहते हैं तो रंगों के इस त्यौहार को तिलक होली के रूप में मनाना चाहिए और हाथों एवं सिर पर रंग उड़ेलने की बजाय अपने प्रियजनों के माथे पर तिलक लगा उन्हें होली की बधाई देनी चाहिए, क्योंकि हाथों पर लगे रंग को धोने में जहां एक से तीन लीटर पानी व्यर्थ होता है, वहीं सिर में लगे रंग को निकालने में पांच से 10 लीटर पानी व्यर्थ बहाना पड़ता है। बच्चों को भी पानी से दूर रह रंगों की होली खेलने की प्रेरणा देनी चाहिए।इस अवसर पर मोटाराम माण्डवला,कानाराम,बिशंनगढ़ ,चम्पालाल बोकडा ,कांतिलाल खेडा,पारसमल सामतीपूरा ,अशोक राजू व समाज के युवा मोजूद थे !

महान संत श्री मिठुरामजी महाराज

महान संत श्री मिठुरामजी (मेघवाल धर्म गुरु )





सपत्नी की कोखसेजन्मेआत्मजचार !!

वाध्य यंत्र में पूर्ण पटु,ज्येष्ठसूतगंगाराम !

     पूनम पूर्ण ,विज्ञवर ,चतुर्थ मिठुराम !!

महान संत श्री मिठुरामजी महाराज का जन्म विक्रम सवत 1971 की चेत्र मास कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथी दिनांक 3 मार्च 1915 को उतराफाल्गुनी नक्षत्र में राजस्थान राज्य के जालोर जिले के स्वर्णगिरी पर्वत की गोद में स्थित माण्डवला नामक ग्राम में  जोगसन रिखवंशज   में  श्री बुद्धाराम जी के घर हुआ था !आपके पिताजी का नाम श्री बुद्धाराम जी एवम माता का नाम चम्पनी  देवी था !पिता श्री के चार पुत्रो में सबसे छोटे होने से आपको पिताजी का पूरा सानिध्धय मिला !
आपने 12 वर्ष की उम्र में स्वामी उत्तमरामजी के परम शिष्य स्वामी रणछारामजी महाराज रणजीत आश्रम बालोतरा से गुरु दीक्षा प्राप्त की थी !रणछारामजी महाराज ने खूब साहित्य रचना की व अपनी वाणियो एवम प्रवचनों समाज सुधार के कार्य किये !स्वामी रणछारामजी महाराज वेदों के महान ज्ञाता थे ,जिनका भी पूरा सानिध्धय मिला जिनकी निश्रा में आपने वेद  ,पुराण,उपनिषद ,रामायण ,गीता का गहन अध्धयन कर इश्वर प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त किया !
इस प्रकार इश्वर प्राप्ति की साधना पूर्ण होने के उपरान्त मिठुराम के मुख से जो उपदेश वाणी प्रकट हुई अत्यंत महत्वपूर्ण और अर्थ पूर्ण हैं !स्वभावत : स्पष्टवादी होने के कारण इनकी वाणी में जो कोमलता दिखलाई पड़ती हैं ,उसके पीछे इनका प्रमुख उद्देश्य समाज से दुष्टों का निर्दलन कर धर्म का संरक्षण करना ही था !इन्होने सदॆव सत्य का ही अवलंबन किया और किसी की प्रसन्नता और अप्रसन्नता की और ध्यान न देते हुए धर्मसंरक्षण के साथ -साथ पाखंड खंडन का कार्य निरंतर चलाया ! दाम्भिक संत ,अनुभव शुन्य पोथी पंडित ,दुराचारी ,धर्मगुरु इत्यादि समाजकंटको की उन्होंने अत्यंत तीव्र आलोचना की हैं !आपके अनुयायी देश- विदेश में बसे हुए हैं !महाराज श्री द्वारा रचित विभिन्न राग ,रागनियो में भजन ,दोहे इत्यादि का गायन-श्रवण उनके अनुयायी आज भी बड़े  चाव से करते हैं ! 18 वर्ष की आल्पायु में ही आपका विवाह जालोर जिले के टापी गाँव के पालीवाल गोत्रीय करनीरामजी की सुपत्रि रंगुदेवी के साथ हुआ था !सपत्नी ने चार पुत्र और दो पुत्रिया जिसमे सबसे बड़े वालूराम ,रामचंद्र ,नवाराम,व पियारम और पुत्रिया सुआदेवी  व सकुदेवी को जन्म दिया आपके पिता स्वामी बुद्धारामजी देश विदेश का भ्रमण करते थे !आपने अपने पिताजी के साथ सिंध ,करांची ,पाकिस्थान ;अफगानिस्तान , गुजरात ,मध्यप्रदेश ,मालवा के साथ सम्पूर्ण हिन्दुस्थान का भ्रमण किया था !आपने वेदांत वाक्यों को मधुर विचित्र राग- रागनियो से भजनों के माध्यम से लोक कल्याण का पथ प्रशस्त  किया ! आपने चार धाम की यात्रा की व कई महात्माओ व महापुरुषों के दर्शन कर मन की अभिलाषा को पूर्ण किया !आपमें साहित्यिक की विचित्रता एवम पिंगल सार की अटूट  शक्ति थी की पल में ही छंद कुंडलिया एवम पद की रचना कर देते थे !आपके पदों की भाषा सामान्य होती थी ,जो सहज ही आमजन की समज में आ जाती थी ! ग्रहस्थी जीवन का निर्वहन करते हुए आपने समाज को एक नई दिशा प्रदान की !
वे कहते थे की इस संसार में जाती प्रथा का इतना जहर गुल गया हैं इस संसार में जो भी जीव-जन्तु हैं, कईरूप, रंग, वर्ण रखते हैं. उनके समूह को ही जाति कहागया है. जल, थल, आकाश के जीव अपनी-अपनी जातियाँ रखते हैं. पशु-पक्षियों और जल में रहने वाले मच्छ, कच्छ, व्हेल मछली जैसी जातियाँ पाई जाती हैं. मनुष्य जाति में अनेक जातियाँ बन गई हैं. अलग-अलग और नाना जातियाँ बनने का मूल कारण यह है कि ये जितने रंग, रूप और शरीर वाले जीव हैं, ये स्थूल तत्त्वों से बने हैं. इनके मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, विचार, भाव सूक्ष्म तत्त्वों से बने हैं. इनकी आत्माएँ कारण तत्त्वों से बनी हैं और प्रत्येक जीव जन्तु में ये जो पाँच तत्त्व हैं, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश. इनका अनुपात एक जैसा नहीं होता. सबका अलग-अलग है. किसी में वायु तत्त्व और किसी में आकाश तत्त्व अधिक है. इन्हीं के अनुसार हमारे गुण, कर्म, स्वभाव अलग-अलग होते हैं. गुण तीन हैं. सतोगुण, रजो गुण और तमोगुण. किसी के अन्दर आत्मिक शक्ति, किसी में मानसिक शक्ति, किसी में शारीरिक शक्ति अधिक होती है. इसी तरह कर्म भी कई प्रकार के होते हैं. अच्छे, बुरे, चोर, डाकू, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार भी किसी में अधिक, किसी में कम. किसी में प्रेम और सहानुभूति कम है किसी में अधिक. इस . जिस महापुरुष का शरीर, मन और आत्मा इन तत्त्वों से इस प्रकार बने हैं, जो समता या सन्तुलित रूप में हैं, उस महापुरुष को संत कहते हैं. प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर वासना उठती है और उसी वासना (कॉस्मिक रेज़) से सकारात्मक व नकारात्मक शक्तियाँ पैदा होती हैं जो स्थूल पदार्थों की रचना करती रहती हैं. वासना एक जैसी नहीं होती. इसलिए भिन्न-भिन्न प्रकृति के लोग उत्पन्न हो जाते हैं!
ऐसे सिद्ध पुरुष को अपनी अंतिम समय का पूर्वानुमान होने पर उन्होंने अपने सभी भक्त एवम प्रेमी जनों को बुलाकर सतसंग  की !अपने ज्येष्ठ पुत्र वालूराम को परिवार की जिम्मेदारी सोप कर विक्रम सवत 2027 माघ वदि 14 सोमवार को प्रभात  के समय  पद्मासन लगाकर प्रभु भक्ति में लीन होकर इस नश्वर शरीर को छोड़ शिवलोक को प्यारे हो गए ! ऐसे महान संत को सत -सत नमन !!!
                                                                      भगवानाराम मेघवाल


                                     भजन

               !!टेर !!  मिलिया आत्म राम हमने ,निर्मल होगी काया रे !

                          गुरु हमारा केवा ,फुल गुलाब जेवा ,

                          अन्दर में रमता देखिया रे !!१ !!

                          चन्द्र सूरज प्रकाशा ,दोनों रेवे आकाशा ,

                          कुदरत खेल बनाया रे !!२ !!

                          इन्द्र करे चढवाई ,विरथा करे निरमाई ,

                          बिजली रा चमकाया रे !!३ !!

                          मिठुराम जुग माई ,हरी का ध्यान लगाई ,
       
                         भव से पार लगाया रे !!४!!


                                             भजन 

               !!टेर !! सतगुरु मिलिया साचा ,मेरे हिरदे किया प्रकाशा!

                       ब्रह्नज्ञान सुनाया ,मेरी दुरमति दूर कराया ,

                       कर्मन का किना नासा रे !!१ !!

                       गेबी शब्द घुरन्दा ,आट पोर आनन्दा ,

                      नही काल का वासा रे !!२!!

                      सोवन शिखर सेलाणा ,सतगुरु से ओलखाणा,

                      पाँच तीन नही पासा रे !!३!!

                     मिठुराम रंग भीना ,गुरु का शरणालीना ,

                     पल -पल गुरु का दासा रे !!४!!








                  रामभजन बिना ,मनुष पशु समाना !

                 ज्यारे सिंगरु पुंछ ,काणा मोड़ा जाना !!

                 काणा मोड़ा जाना ,बड़ा पापी कहावे !

                 जमोरी पड़ेला मार ,भजन भोला पावे !!

                 भजन भोला ,मिठुराम मस्ताना !

                 राम भजन बिना ,मनुष पशु समाना!!







               हिरणाकुश पापी बड़ा ,प्रहलाद राम ऊचार !

               नारायण नरसिह भये ,मिठुराम मन मार !!

               मिठुराम मन मार ,लुटेरा लाय लिना !

               अकर्म किना काम ,राम सुमिरन बिना !!

               राम सुमिरन बिना ,चलनो खोडे धार !

              हिरणाकुश पापी बड़ा ,प्रहलाद राम ऊचार !!

गुरु गादी बोर पंजाब रघुनाथ नाथ पीर धुनी ढालोप जिला पाली


                                     गुरु गादी बोर पंजाब 

                                       रघुनाथ नाथ पीर धुनी ढालोप जिला पाली
                                             
वंशावली                              

                          सन्यासी  

                  1   सेन  अजाजी                 विक्रम  संवत 1215 
                  2   नुरसदासजी
                  3 समस पीरजी
                  4   हरचंदजी 


                         ग्रहस्थी  

                   5 रघुपिरजी             विक्रम  संवत 1500 
                   6 जीवनपीरजी  
                   7 पवन दासजी 
                   8 मनसा पीरजी 
                   9 बालक दासजी 
                 10 कुलिया दासजी 
                 11 रजुगुण  दासजी 
                 12 देविदासजी 
                 13 ज्ञान दासजी 
                 14 बालक दासजी 
                 15 कान दासजी 
                 16 बालक दासजी 
                 17 जीवन दासजी 
                 18 देवी दासजी 
                 19 पूरण दासजी 

                   वर्तमान गादीपति 

                 20  बालक दासजी

                  2 1  गणपत दास 

मेघवाल समाज दशा एवं दिशा


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''''मेघवाल समाज दशा एवं दिशा''''

 मेघवाल समाज की उत्त्पति ,इस जाती के महान आदर्शो ,परम्पराओ और इतिहास का उल्लेख अनेक लेखको द्वारा किया जाकर इस जाति के प्राचीन गोरव से जन -मानस को समय -समय पर अवगत कराया जाता रहा हैं ! शिक्षा के व्यापक प्रचार -प्रसार के फलसवरूप इस जाति ने प्रशासन , शिक्षा ,चिकित्सा और तकनीकी के काम उच्च पद प्राप्त किये हैं ,साथ ही निजी शेत्रो में भी यह जाति अपनी योग्यता का परचम लहरा कर नित्य विकास की और अग्रसर हैं !डा ०अम्बेद्कर के मूल मन्त्र का प्रथम वाक्य '''शिक्षित बनो '''को अंगीकार कर व् '' education is the most eftertive sathd powerful instrument of social change '''की अवधारणा से समाज नई दिस की और अग्रसर हैं !शिक्षा की बदोलत ही समाज की जर्जर वय्व्स्थाओ में परिवर्तन व् सोच में बदलाव आया हैं यदि इसी रफ़्तार से समाज में शिक्षा का सार्वजनिककरन चलता रहा तो निशित रूप से इस जाती का भविष्य देदित्य्मान रवि के समाज प्रखर बनेगा ,किन्तु वर्तमान में शिक्षितो की संख्यात्मक बढ़ोतरी के साथ- साथ गुणवत्ता बढ़ोतरीभी आवश्यक हैं ,इस हेतु भागीरथी प्रयास किये जाने चाहिए !आज आवश्यकता हैं एसी शिक्षा की जो रोजगार की गारंटी पर्दान करे ,प्रतिस्पर्धा के युग में सवामित्व स्थापित करने के प्रयास कर आर्थिक उन्नति की और बढ़ा जा रहा हैं !अर्थ प्रधान युग में शिक्षा के साथ अर्थ को जोड़कर देखा जाना चाहिए !वस्तुत शिक्षा और आर्थिक उन्नति के साथ -साथ इस जाती को धार्मिक रूप से एक करने वाले धर्मगुरु की आवश्यकता हैं ,जो धार्मिक आडम्बरो व् उन्मद्ताओ से उपर उठकर एकता की राह प्रशस्त कर सके ,एक और जन्हा कतिपय जातीय धर्मगुरूओ के नाम से ऊपर जन सेलाब इकट्ठा कर धार्मिक एकता प्रदर्शित करते हैं वही यह राजनितिक शक्ति प्रदर्शन का रूप लेकर सत्ता पक्ष एवम विपक्ष से भावी लाभ अर्जन का हेतु बनता हैं ,किन्तु विडंबना यह हैं की मेघवाल जाती धार्मिक रूप इ किसी एक आराध्य या धार्मिक गुरु के अधीन नही हैं !

अत;हमें सामूहिक रूप से ऐसे धर्म गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करना होगा जो इस जाती को शेक्षिक एवम राजनेतिक उन्नत्ति प्रदान करे !शॆक्षिक एव आर्थिक उन्नति से ही राजनितिक मजबूती प्राप्त होगी !यह आलोचना नही अपितु यतार्थ हैं की राजनीती में समाज का वर्चस्व नही हैं !भले ही संखायाताम्क रूप से हम आगे हैं ,किन्तु विचारशील ,निर्भीक ,योग्य एव उर्जावानो की कमी हैं !दुर्भाग्य की दलित कही जाने वाली जाती को नेता भी अनपढ़ व विचारशून्य ही मिले हैं ,जो व्यक्तिगत स्वार्थो की परिधि लाँघ ही नही पाए !हमें शिक्षित ,विचारवान ,उर्जस्वी एवम जातीय हित के लिए तत्पर व्यक्तित्व वाले नेता को ही समर्थन देना होगा !सवर्णों की सदेव प्रत्येक चुनाव में इस जाती के अयोग्यतम व्यक्ति को समर्थन देकर विजयी बनाने की चाल रही हैं आमूलचूल परिवर्तन सत्ता प्राप्त कर ही किये जा सकेगे ,इस हेतु वार्डस्तर से संसद तक के पदों को प्राप्त करना होगा !नेताओ के लुभावने वादों व लच्छेदार भाषणों से बचकर यथार्थ की पहचान करनी होगी !जाती का विकास केवल गली में सी .सी .रोड व सामूहिक सभा भवन से नही होगा ,कतिपय नेता इनके द्वारा समाज के विकास का दंभ भरकर की राजनेतिक स्वार्थ पूर्ति करते हैं ,हमें ऐसे लोगो से बचकर विकासवादी कार्यो को अपनाने पर बल देना चाहिए ,समाज बहुसंख्यक हैं किन्तु एकता के अभाव में दिशाहीन हो रहा हैं ,फलस्वरूप जाती की वास्तविक उन्नति नही हो पा रही हैं !रोजगार प्राप्ति के उपरांत जाती का व्यक्ति व्यक्तिवादी होकर समाज की उपेक्षा प्राप्त कर रहा हैं अत .उसे सहयोग ,समर्थन व जातीय निष्ठा ही समाज की उपेक्षा से बचा पायेगी !पाठक इसे केवल नकारात्मक विचारधारा न माने अपितु मूल में छिपे यथार्थ को पहचाने !

रविवार, 24 मार्च 2013

मेघवाल समाज आज भी पिछड़ा क्यों हैं Why society is still backward Meghwal

                              मेघवाल समाज आज भी पिछड़ा क्यों हैं 
मेघवाल समाज के पिछड़ेपन की सबसे बड़ी विडंबना सामाजिक, धार्मिक भावनाओ से ग्रसित पुराणी रुढ़िवादी परम्परा हैं !जिसके चलते समाज   में चल रही  मृत्यु भोज की परम्परा सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही हैं ! मृत्यु भोज  में परिवार इतना  डूब जाता हैं की उसकी सात पीढ़ी तक ऊपर नही उठ आ सकती ,जिसका मुख्य कारण  यह हैं की एक बार जिस परिवार में मृत्यु भोज (गंगा जल ) हो गया तो फिर उसके बाद अगर उस परिवार में कोई अन्य मोत होती हैं तो फिर वही मृत्यु भोज लोग कहते हैं की इनके  पूर्वजो ने इनके पिताजी ने या दादाजी ने  तो (गंगा जल)किया था !और लोगो के ताने सुनने के बजाये एक बार फिर ऋण के बोजतले   दब जाता हैं !इसके साथ ही शराब सेवन भी समाज के पिछड़ेपन का मुख्य कारण हैं ,युवा वर्ग नशे की लत का इतना आदि होता चला जा रहा हैं की अपने परिवार को दो वक्त की रोटी भी नही दे सकता जिससे कई परिवार टूट रहे हैं !अत मृत्यु भोज, शराब सेवन, बाल विवाह,आदि प्रथाओ  से किनारा किये बिना समाज पिछड़ेपन से छुटकारा नही पा  सकता !!