आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

मंगलवार, 26 मार्च 2013

मेघ हुँकार


                मेघ हुँकार
आँखे खोलो सुस्ती छोड़ो ,ताकत से बिगुल बजाओ रे !
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!
भाग्य हमारा खर्राटो ,अलगाओ की चादर फेको 
अलसाई आँखों को मसलो ,अक सुनहरा सपना देखो !
भाम्बी ,रिखिया ,मेहर ,बलाई ,मेघवाल ,कई नाम अनेको ,
कोस- कोस पर नाम बदलता,नामो पर मत रोटी सेको!
राष्ट्र -पलट पर ,एक मंच पर ,एक नाम से आओ रे ,
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!
हम बेटे हैं मेघ ऋषि  के,अंचल- अंचल लेबल बदलो ,
साथ के ठेकेदारों की ,कुर्सी बदलो ,टेबल बदलो !
आजादी को अर्श बिता ,थोडा- थोडा अब तो संभलो ,
लाल किले तक बढे कारवा ,अंगड़ाई लो इतना दम लो!
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!
सष्टि रची तब ब्रह्माजी को ,ताना बाना दिया हमी ने ,
संत कबीरा,रविदास और जोधल पीर हमी थे  !
माया मेघ ,जीवना दासी ,विरभन सतनामी हमी थे ,
गोकुलदास गरिब घासी ,तिन दिशा मत जाओ रे  !
आँखे खोलो सुस्ती छोड़ो ,ताकत से बिगुल बजाओ रे !
जागो मेघवंशियो जागो , सोये सिंह जगाओ रे !!

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