आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

बुध्द ना होते तो ज्ञान ना मिलता , भीम ना होते तो सम्मान ना मिलता !

रोशनी जीवन की
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बुध्द ने हमको ज्ञान दिया है
भीम ने दिया है जीवन।।।।

कैसे कहू और कैसे सुनाऊ
बुध्द और भीम का कैसा था जीवन

एक ने अपना जीवन खोकर
ज्ञान से हमको कर दिया रोशन

और एक ने दिया है जीवन
दोनों को कैसे मैं भुला दू

एक है भाग्य तो दूसरा भगवान
और दिया हमको अब जीवन

हम सब कितने थे लाचार
भीम ने दिए सारे अधिकार

और बताई राह बुध्द की
कौन है ईश्वर द दिया ज्ञान

बुध्द ने हमको ज्ञान दिया है
भीम ने दिया है जीवन

क्यूँ पाखंडवाद बतलाते हमको
जातिवाद सिखलाते हमको

बुध्द ना होते तो ज्ञान ना मिलता
भीम ना होते तो सम्मान ना मिलता

आज रोशनी मिली है जिनको
याद नही है भीम जी उनको

पाखंडवाद को तक़दीर बताते
क्यों नही उनकोभीम याद आते

बुध्द ने हमको ज्ञान दिया है
और भीम ने दिया है जीवन

मिलती ना कोई राह अगर तब
नही होता संविधान अगर तब

त्याग और बलिदान ना करते
भीम अगर संविधान ना लिखते

नारी को सम्मान ना मिलते
और समान अधिकार ना मिलते

बुध्द ने हमको ज्ञान दिया है
और भक्म ने दिया है जीवन

जीवन सारा अर्पण करके
बौध्द धर्म का धर्म बताकर

पाखंडवाद को दूर भगाया
जातिवाद को खत्म कराया

मानव को मानव बतलाया
और समानता का हक़ दिलवाकर

बुध्द ने हमको ज्ञान दिया है
और भीम ने दिया है जीवन।।।।

कंचन भारती
आगरा
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