आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

गुरुवार, 5 सितंबर 2013

baba bheem raw ambeadkar

जाग उठोँ ऐ साथियोँ अब माहौल बनाना है।
और बाबा के लिखे संविधान को मिलकर आज बचाना है॥

संविधान की एक एक कलम में बराबरी का हक दिया।
पर मांगना नही है अब हमेँ छिनकर दिखाना है॥

अरे भूल गये हो उन दिनोँ को कितना हमेँ सताया है।
आओ मिलकर आज हमेँ उस दुश्मन को मिटाना है॥

संविधान की हर कलम ने दुश्मन का रास्ता रोका है।
अरे करता है कोई मनमानी तो इसी कलम ने टोँका है॥

अगर बदलोगे एक भी कलम तो देश को आगे धोखा है।
संभल जाओ ऐ नादानोँ अभी तुम्हे ये मौका है॥

अरे ऐहसान मानो भीम के वरना देश कभी का लूट जाता।
अगर ना होता संविधान हमारा तो भारत कभी का लूंट जाता॥

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