आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

जब राष्ट्रके पिता गाँधी जी की जयंती पर अवकाश हो सकता है तो राष्ट्र के बाबा डा०अम्बेडकर जी के जन्म दिन पर क्यों नहीँ।

गांधी जयन्ति पर  आयकर विभाग एवं अन्य राज्य कार्यालय मे देखा तो सभी कार्यालय बंद मिले छुट्टी की वजह समझ नहीँ आई तो जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि आज गाँधी जयंती के उपलक्ष्य में सार्वजनिक अवकाश है। जानकर दिमाग चकरघिँनी हो गया।


      मुझे याद आ रहा है वह मंजर जब बाबासाहब की जयंती के अवसर पर केंद्रीय सरकार ने घोषणा की थी की अब किसी भी महापुरुष के जन्मदिन पर छुट्टी नहीँ होगी।

      आज मैं यह नहीँ समझ पा रहा हूँ कि फ़िर यह गाँधी जी कौन है क्या वही हैं जिनकी संघी नाथूराम गोन्ड्से ने गोली मारकर हत्या की थी और इस गाँधी जी के हत्यारे कॊ महिमा मंडित किया जात्ता है।

      जब राष्ट्रके पिता गाँधी जी की जयंती पर अवकाश हो सकता है तो राष्ट्र के बाबा डा०अम्बेडकर जी के जन्म दिन पर क्यों नहीँ।

        हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी  विदेशों में कहते है कि मैं बुद्ध कि धरती से आया हूँ किंतु आज तक कभी यह नहीँ कहा कि वह गाँधी , राम  अथवा कृष्ण कि धरती से आए हैं तो फ़िर तथागत बुद्ध कि जयंती पर सार्वजनिक समारोह एवं अवकाश क्यों नहीँ।

     क्या यह मनुवाद से इतर हमारेमहापूरूषो कॊ अलग थलग करने की घिनौली चाल तो नहीँ।

   जागो बहुजन जागो ।
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Dr. RBS Pushkar
राष्ट्रीय संरक्षक
बहुजन समस्या मेला
 भारत

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