आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

रविवार, 15 अक्तूबर 2017

देश मे 15% भारतीय अल्पसंख्यक हम बहुजनों का संविधान प्रदत्त आरक्षण समाप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

"मेरा पहला राजनीतिक प्रस्ताव "
--------------------
मित्रो आजकल देश मे 15% भारतीय अल्पसंख्यक हम बहुजनों का संविधान प्रदत्त आरक्षण समाप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ कि वे हम सोये हुए भीम शेरों को जगा रहे हैं अपनी हिस्सेदारी मांगने के लिए।


       साथियो अब तक बहुत हो गया अब जागो औऱ जोर से बोलो कि आरक्षण भीख नहीं हमारा संवैधानिक अधिकार है। यह तो हम लेंगे ही साथ ही देश के हर क्षेत्र में एक एक ईंट में हमें अपनी आनुपातिक भागेदारी चाहिए।

       दूसरी अहम बात हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह कहकर ताजमहल का महत्व समाप्त कर दिया कि यह विदेशी मुगलों का बनाया हुआ है इससे भगवा स्व देश प्रेम परलक्ष्तित हो रहा है ।हम इसे स्वीकार करते हुए पूरे देश के मुगलों और अंग्रजो के बनाए भवनों से सरकारी कार्य न करने का प्रस्ताव पेश करते हैं और जब तक राज तन्त्र अपनी खुद की व्यवस्था नही कर पाता संसद और विधानसभा सत्र आदि खुद के भवन अथवा खुले पार्को में आयोजित किए जाने चाहिए ।

साभार facebook वॉल

    RBS Pushkar
   राष्ट्रीय संयोजक
बहुजन विकास परिषद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें