आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

सोमवार, 4 सितंबर 2017

यदि आपके खून में ज़रा भी गैरत है तो अपने सोये हुए जमीर कॊ जगाओ औऱ बाबा के मिशन में जुट जाओ।

"क्या करें डाक्टर साहब /भाई साहब नौकरी/कारोबार से बिल्कुल समय नहीँ मिलता जो अपने महापुरूषो के विचारों कॊ समाज में फैलायें।"



          उपरोक्त धारणा हमारे उन उच्च शिक्षित नौकरी पेशा/कारोबारी भाइयों की हैं जो आज जो कुछ हैं, अपने मसीहा बाबा साहब डा० अम्बेडकर जी की बदौलत हैं। बाबा साहब ने सही कहा था कि मुझे मेरे पढ़े लिखे लोग धोखा देंगे।

           अरे बेशर्मों गद्दारो यदि आपकी तरह बाबा साहब भी ख़ुदगर्ज होते औऱ खुद अपने एवं अपने परिवार के लिए ही व्यस्त रहते तो क्या आज आपको यह कहने का अवसर मिलता कि हम व्यस्त रहते हैं। अरे अहसान फरोसो यदि बाबासाहब अपने बच्चों की कुर्बानी देकर हमारे लिए कुछ नहीँ करते तो आप व्यस्त तो रहते किंतु इस स्थिति के बजाय झाडू औऱ हांडी लटकाए व्यस्त रहते।

           यदि आपके खून में ज़रा भी गैरत है तो अपने सोये हुए जमीर कॊ जगाओ औऱ बाबा के मिशन में जुट जाओ।

    याद रखो यदि ऐसे ही सोते रहे तो अपने बच्चों की नौकरी की उम्मीद छोड़ दो क्योंकि आरक्षण समाप्त नहीँ तो निष्क्रिय होने की तैयारियाँ हो रही हैं।...............तथागत आपको सद्बुद्धि दें।

Dr.RBS Pushkar की फेसबुक वॉल से 

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