आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

गुरुवार, 10 अगस्त 2017

अभिव्यक्ति की आजादी पर. सत्ता का डंडा डा.आरबीएस पुष्कर

"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सत्ता का प्रतिबन्ध"

   बंधुओ हमें संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है किंतु देश में भाजपाई सत्ता आरूढ़ होने के बाद संदर्भित आजादी हमसे छीनने का एक सुनयोजित षडयंत्र चला दिया गया है।
मनुस्मृति में दर्शाई गई गैर ज़रूरी एवं किसी समाज विशेष को आहत करने वाले बिंदु को भी यदि कोई समाज सेवी सोशल मीडिया में रेखांकित करता है तो भी हमारे राष्ट्रभक्त उस समाज सेवी के खिलाफ तुरंत  किसी थाने में एफ़आईआर कराने के लिए तहरीर देते हैं और पुलिस अधिकारीसत्ता के प्रभाव में रिपोर्टदर्ज करादेते हैं।बाद में या तो न्यायालय से उस निर्दोष समाज सेवी को जमानत पर छोड़ा जाता है या फ़िर जेल भेज दिया जाता है।

      बंधुओ भारतीय मीडिया तो वैसे ही बहुजन उत्पीड़न की घटनाओं को दवाने में मशगूल है अब सोशल मीडिया जो बहुजनॉका एक सहारा है उस पर भी बहुजन भाइयोंको अपनी स्पष्ट राय देने से परोक्ष रुप से रोका जा रहा है।
                       डा.आरबीएस पुष्कर
                      मुख्य राष्ट्रीय संरक्षक
                      बहुजन समस्या मेला
                              भारत 

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