आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

शनिवार, 12 अगस्त 2017

जाओ अपने घर आराम करो ये तो बेचारे 33 ही बच्चे मरे है।

गोरखपुरअस्पताल में ऑक्सिजन की कमी से 33 बच्चो की मौत पर लोगो के आक्रोशित होने का औचित्य मेरी समझ से परे  है।

   अरे भले मानुसो जब आपको मालुम है कि यहाँ  मानव मौत की कोई अहमियत नहीँ है चिंता है तो सिर्फ गाय की और यह हक दियाहै सिर्फ राष्ट्र भक्तो को बेचारे वही अपना सारा काम छोड़कर एक ही गाय के मरने पर आसमान सर पर उठा देते हैं। और वही राष्ट्र वीर किसी भी एक गाय के मरने पर गैर राष्ट्र भक्तो का जीना हराम कर देते है।

   इस लिए जाओ अपने घर आराम करो ये तो बेचारे 33 ही बच्चे मरे है। यहाँ 333 की मौत से भी  कोई फर्क नहीँ पढ़ने वाला।
                                                   Dr.RBS पुष्कर
                                               राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक
                                               बहुजन समस्या मेला
                                                        भारत

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