आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

सोमवार, 3 अप्रैल 2017

मेरे ग्रामीण अंचल के ओबीसी कोटे




के आरक्षित वर्ग के मित्रो कम से कम आप तो हम दलितों के साथ ज्यादा कुछ नही तो रोटी का रिश्ता तो बना ही लीजिए।
     जहाँ एक ओर हमारे राष्ट्र भक्त पुरजोर कोशिश कर रहे है कि अब सभी नागरिक देश मे समान भाव से मिलजुलकर रह रहे हैं इसलिए अब आरक्षण समाप्त होना चाहिए। हालांकि वे मेरे इस दर्द को भलीभांति समझते हैं हम आज भी ग्रामीण अंचलों मे दोयम दर्जे के नागरिक हैं।वहाॅ हमारे ओबीसी के हमारे जैसे आरक्षित मित्र हमें तो अपने भोज कार्यक्रम मे आमंत्रित करते हैं किन्तु हमारे ऐसे किसी कार्यक्रम मे सार्वजनिक तौर पर नही आ सकते।मुझे  सामान्य वर्ग के उच्च स्तरीय मित्रो से इसकी कोई शिकायत नही है क्योंकि वे तो हमारी सामाजिक व्यवस्था से वैसे ही सर्वश्रेष्ठ हैं वे तो हमारे यहा सार्वजनिक रूप से आ ही नही सकते।
       यहाँ एक दिलचस्प पहलू और भी है कि जैसे ओबीसी भगेल समाज के बहुत से मित्र हमारी तरफ से दलित आरक्षण का लाभ उठाकर भी हमारे साथ रोटी का रिश्ता कायम करने तैयार नही हैं।
        मैं इस पूरे परिदृश्य में नमन करता हूॅ अपने उन दलित साथियो का जो ऐसे बहुजन साथियो के यहाँ भोज में सहभागी होने में खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।ऐसे मेरे भीम पुत्रों को साधुवाद सहित हृदय की गहराइयों से एक बार पुनः नमन।

Written By Rbs Dr. Pushkar

( लेखक बहुजन समस्या मेला इंडिया के संयोजक है)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें