आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

बुधवार, 5 अप्रैल 2017

क्यूँ सदियो से नारी को कभी नही सम्मान मिला
तिल तिल कर मरती है नारी घुट घुट कर जीती रहती
सदियो बाद भी माँ बहनो पत्नी के जीवन जीती रहती
नही मिला कोई अब तक जो नारी को इंसान कहे
नही मिला कोई अब तक भी जो नारी का सम्मान करे
इस्तेमाल सभी करते है कोई नही कहता इंसान उसे
क्या नारी सदियो तक अब ऐसे ही मारी जायेगी
कब तक आखिर घुट घुट कर नारी पुरुषो की खातिर
माँ, बहन,पत्नी,और प्रेयशी  बनकर पुरुषो का मान बढ़ाएगी
कभी तो उसका दिल भी उससे कहता होगा
कभी तो खुद की खातिर भी जीने को आतुर होता होगा
आखिर कब तक नैनो में आँशु भरकर तुमको खुशिया देगी
कभी तनिक अहसास करो उसके नारी पन का
कभी कभी सोचो नारी के अदभुत जीवन का
जिसने तुमको हमको सबको जन्म दिया सम्मान दिया
फिर भी सदियो से तुमने नारी जीवन का अक्सर अपमान किया
फिर भी क्यूँ तुमने नारी जीवन को अक्सर ही दुत्कार दिया
सदियो से रोई तड़पी अब शिक्षित होकर भी नारी ने
इज़्ज़त और अपमान की खातिर ही अब तक सम्मान ना पाया नारी ने


     कंचन भारती
598/5    आवास विकास कॉलोनी
बोदला सिकन्दरा ,आगरा !

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