जय भीम ! जय भीम ! जय भीम ! आखिर क्यों जय भीम का उच्चारण करते हैं।बन्द करो यह दिखावा। जब हम आपस मे संवाद करते हैं तो बड़े फक्र के साथ जय भीम का उच्चारण ऐसे करते हैं मानो हमसे बड़ा कोई दूसरा अम्बेडकरवादी नही हैं किन्तु फेसबुक पर उस समय हमारी आत्मा कहाँ मर जाती है जब कोई विक्रित मानसिकता का व्यक्ति हमारे मसीहा बोधिसत्व बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी को अपमानित करते हुए उनके लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करता है।यद्यपि उस वक्त मुझसे जितना बनता है मर्यादित भाषा मे अपनी प्रतिक्रया शेयर करता हूॅ किन्तु मेरे तथाकथित भीम बब्बर शेर कहाँ छिपे बैठे रहते है। मित्रो मै इस सन्दर्भ मे किसी को किसी के प्रति भड़का नही रहा हूॅ।यह फेसबुक विश्व का ऐसा खूबसूरत मंच है जहाँ हम अपनी मर्यादित भाषा मे अपने विचारो का आदान प्रदान कर सकते हैं।किसी को भी किसी की धार्मिक भावना और आस्था से खिलवाड करने की इजाज़त नही है।फिर भी कुछ मानसिक रोगी जातीय,धार्मिक और सम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश से बाज नही आते।ऐसे मे क्या हमारा यह दायित्व नही बनता कि जब कोई हमारे मसीहा को अपशब्द कहे तो हम शालीनता से उसका प्रतिवाद करें किन्तु नही यदि आपने ऐसा किया तो फेसबुक के सभी साथी आपकी जाति को जान जाएंगे जिसे आप छिपा कर जी रहे हैं और बाबा साहेब के सपनो को पलीता लगा रहे हैं।इसलिए मेरी आपसे विनती है कि आप इस जय भीम का दिखावा बन्द कर उसी पाखण्ड वाद मे आजादी से विचरण करिए जिससे बाबा साहब ने हमे बाहर निकाला है।अंत मै नमो बुद्धाय जय भीम कहना चाहकर भी नही कह रहा क्योंकि यह आपके दिल मे नही सिर्फ मुॅह पर है जिसे आप अपनी सुविधानुसार प्रयोग करते हैं।
By-RBS Dr.Pushkar
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