आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

जालोर की धरा पर बहुजन  समाज क्रान्ति का आगाज.........इस्तीफा सही है गलत पर गोपाल के इस कदमसे समाज को मजबूती मिली है ......

जालोर छात्रसंघ अध्यक्ष गोपालचाँद मेघवाल के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद जिस तरह से राजनीती में  बदलाव हुआ है वो किसी क्रांति के आगाज़ से कम नहीं है,आखिर क्या साबित करना वाहते है हमलावर ?
वाही दूसरी और गोपालचंद मेघवाल के साथ हुए हमले के बाद कांग्रेस के एक भी बढे नेता ने गोपाल का स्वास्थ्यजानने की कोशिश नहीं की,मजबूरन गोपालचंद ने nsui की सदस्यता से इस्तीफा देना बेहतर समझा 
जालोर की बात करे तो कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पुखराज पराशर,रतन देवासी,समर्जितसिंह,सुखराम विश्नोई,परसराम मेघवाल,रामलाल मेघवाल,सहित आला पधाधिकरियो ने अपनी और से बात तक नहीं रखी
जबकि जालोर जिला कांग्रेस के परम्परागत sc,st वोटो के लिए जाना जाता है 
कल गोपालचंद मेघवाल के साथ हुए वाक्यांश को lekar जिस तरह से अनुसूचित जाती एवम जनजाति ने एकता का जो परिचय दिया है वो प्रशंसनीय है 
राजनेतिक दलों ने हमेशा से ही अनुसूचित जाती एवं जनजाति के वोटो का इस्तमाल किया है ,जब अत्याचार और इन वर्गों के हितो की बात आती है  तो ये दल बोलने से भी कतराते है कांग्रेस हो बीजेपी अगर किसी ने भी छात्रसंघ अध्यक्ष के साथ हुई घटना पर अपना विरोध दायर करवाया होता तो मामले में तेजी आती, पर राजनेतिक दलों को कोई मतलब नहीं है अगर दलितों के होतो की चिंता होती तो उन्ना,डेल्टा मेघवाल,रोहित वेम्मुला जैसे मामले इस देश में नहीं होते 
मित्रो राजनीती करनी ही है तो स्वाभिमान के साथ करो पर अपने हितो की खातिर समाज को दांव पर मत लगाओ बहुजन समाज के स्वाभिमान के लिये किसी भी प्रकार का समझोता स्वीकार्य नहीं ........................

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