जालोर की धरा पर बहुजन समाज क्रान्ति का आगाज.........इस्तीफा सही है गलत पर गोपाल के इस कदमसे समाज को मजबूती मिली है ......
जालोर छात्रसंघ अध्यक्ष गोपालचाँद मेघवाल के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद जिस तरह से राजनीती में बदलाव हुआ है वो किसी क्रांति के आगाज़ से कम नहीं है,आखिर क्या साबित करना वाहते है हमलावर ?
वाही दूसरी और गोपालचंद मेघवाल के साथ हुए हमले के बाद कांग्रेस के एक भी बढे नेता ने गोपाल का स्वास्थ्यजानने की कोशिश नहीं की,मजबूरन गोपालचंद ने nsui की सदस्यता से इस्तीफा देना बेहतर समझा
जालोर की बात करे तो कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पुखराज पराशर,रतन देवासी,समर्जितसिंह,सुखराम विश्नोई,परसराम मेघवाल,रामलाल मेघवाल,सहित आला पधाधिकरियो ने अपनी और से बात तक नहीं रखी
जबकि जालोर जिला कांग्रेस के परम्परागत sc,st वोटो के लिए जाना जाता है
कल गोपालचंद मेघवाल के साथ हुए वाक्यांश को lekar जिस तरह से अनुसूचित जाती एवम जनजाति ने एकता का जो परिचय दिया है वो प्रशंसनीय है
राजनेतिक दलों ने हमेशा से ही अनुसूचित जाती एवं जनजाति के वोटो का इस्तमाल किया है ,जब अत्याचार और इन वर्गों के हितो की बात आती है तो ये दल बोलने से भी कतराते है कांग्रेस हो बीजेपी अगर किसी ने भी छात्रसंघ अध्यक्ष के साथ हुई घटना पर अपना विरोध दायर करवाया होता तो मामले में तेजी आती, पर राजनेतिक दलों को कोई मतलब नहीं है अगर दलितों के होतो की चिंता होती तो उन्ना,डेल्टा मेघवाल,रोहित वेम्मुला जैसे मामले इस देश में नहीं होते
मित्रो राजनीती करनी ही है तो स्वाभिमान के साथ करो पर अपने हितो की खातिर समाज को दांव पर मत लगाओ बहुजन समाज के स्वाभिमान के लिये किसी भी प्रकार का समझोता स्वीकार्य नहीं ........................
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