आज हमें जो प्राप्त है जिसमें सर्वप्रथम शिक्षा, वह भी आरक्षण की देन है। जिसकी वजह से एक बच्चा स्कूल, कॉलेज, विश्वाविद्यालय में भर्ती होता है
तभी तो वह डॉक्टर, इंजीनियर और वकील बनता है और उसके बाद उसे मिलती है सरकारी नौकरी, वो भी आरक्षण की वजह से, और फिर वही प्रक्रिया उसकी संतान के लिए प्रारम्भ हो जाती है। जिसकी वजह से समाज के वे व्यक्ति जिन्हें किसी न किसी पद पर नौकरी मिल गई है। जिसके कारण वे आज कारों में घुमते है, बंगलों में रहते है और अपने आपको डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर या राजपत्रित अधिकारी कहते है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि यह आरक्षण तो डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर देकर चले गये, जिसके कारण आज गरीब, असहाय, दलित और पिछड़े लोग सम्मान से जीने का अधिकार कुछ हद तक हासिल कर पाए है। लेकिन अब बात यह है कि इस आरक्षण की सुरक्षा कैसे करें? क्योकि यह आरक्षण वे कितने बड़े संघर्ष के बाद आप और हमें दे पायें तथा उन्होने उन लोगों के सामने संघर्ष किया जो उन्हें कतई पसन्द नही करते थे जो उनके जीवित रहते हुए भी उनके साथ भेदभाव किया करते थे और उनकी मृत्यु के बाद भी भेदभाव किया। इसी का उदाहरण है कि कांग्रेस ने अपने नेताओं को मृत्यु से पूर्व या मृत्यु होने के तुरन्त बाद भारत रत्न की उपाधि ( जैसे जवाहर लाल नेहरू वर्ष 1955, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 1962, डॉ. जाकिर हुसैन 1963, लाल बहादुर शास्त्री 1966, इन्दिरा गांधी 1972)से सुशोभित कर दिया और जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनती है उसको भी नही लगता कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को भारत रत्न देना चाहिए और फिर तीसरे मोर्चे की सरकार 1990 में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को भारत रत्न की उपाधि से सुशोभित करती है। ऐसे श्रेष्ठ विद्वान, संविधान निर्माता, महान व्यक्ति के साथ भेदभाव नही तो क्या है? यह इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस व जनता पार्टी दलितों, गरीबों की हितेशी कभी नही रही और ना है। यदि डॉ. अम्बेडकर उच्च वर्ग से संबंधित होते तो उन्हें उनकी मृत्यु वर्ष 1956 या उससे पूर्व ही उन्हें भारत रत्न की उपाधि दे दी जाती। आप सोच सकते है कि कांग्रेस ने कितनी बड़ी मजबूरी ने डॉ. अम्बेडकर को संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमेन तथा भारत का प्रथम कानून मंत्री बनाया। यदि डॉ. अम्बेडकर अपने समय में इतने बेहतरीन, श्रेष्ठ कानून विद्, बेरिस्टर, विधिवेता नहीं होते तो षायद आज हमारी स्थिति इतनी दयनीय होती कि आप और हम, आज उसकी कल्पना भी नही कर सकते। कांग्रेस व जनता पार्टी कि सोच में आज भी कोई बदलाव नही आया है। उसकी का परिणाम है कि सरकार द्वारा तैयार महिला आरक्षण बिल, जिसके द्वारा महिलाओं को संसद, विधान सभा में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है, में एस.सी., एस.टी. की महिलाओं को आरक्षण नही दिया गया है क्येाकि अब डॉ. अम्बेडकर तो रहे नही। महिला आरक्षण बिल बनाने वाले आज भी उच्च वर्ग के लोग है इसलिए उन्हें गरीबों व दलितों के आरक्षण से क्या लेना देना है। यदि आने वाले वर्षो में लोक सभा चुनाव में कांग्रेस या भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता है तो महिला आरक्षण बिल में दलित व असहाय, गरीब महिलाओें को बिना आरक्षण दिये ही पास कर दिया जायेगा और सभी उच्च वर्ग की महिलाएं संसद भवन में होगी और आपके और हमारे परिवार में से कोई भी महिला वहां नही होगी और तब उसके अधिकारों का शोषण ऐसे ही होता रहेगा। आज डॉ. अम्बेडकर जैसे कानूनविद् नही होने के कारण आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण पद दिये गये निर्णय को आधार रखकर राजस्थान हाई कोर्ट अपना अन्तरित आदेश देता है कि आरक्षित वर्ग का अधिकारी अपने अधीनस्थ सामान्य वर्ग के कर्मचारी की ए.सी.आर. नही भरने तथा पदोन्नति प्राप्त आरक्षित वर्ग के अधिकारियों को पदावनत करने का आदेश देता है। जब आपको पूर्ण अधिकार ही नही मिलेगा तो आप सफल कैंसे होगें ? जो लोग भारत रत्न के पुरस्कार में इतना भेदभाव करते हो, उनसे महिला आरक्षण बिल में गरीब व पिछड़ों को आरक्षण देने की कैसे उम्मीद की जा सकती है? आज जिसे आरक्षण मिला है वे अपने बच्चों को आई.आई.टी., पी.एम.टी. के द्वारा इंजीनियर, डॉक्टर, आई.ए.एस. बना रहे है, आज ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि जो आरक्षण मिला है उसकी भी सुरक्षा नही कर पा रहे है और चारों तरफ दलित समाज के बुद्धिमान लोग अपने अधिकारों के हनन की बात कर रहे है और आरक्षण के विरोध में हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आ रहे है। दलित समाज के बुद्धिमान लोग अपने अधिकारों की सुरक्षा की बात करते है और डॉ. अम्बेडकर के महान कार्यो की प्रशंसा करते है लेकिन वे इस ओर ध्यान नही दे रहे है कि डॉ. अम्बेडकर ही ऐसा महान कार्य क्यों कर पाए, क्येांकि वे अपने समय में बेहतरीन, श्रेष्ठ कानूनविद्, बेरिस्टर, विधिवेता थे। यदि आप चाहते है कि आप समाज में सम्मान से जीये तथा अपने कार्यो में सफलता प्राप्त करें तो यह बहुत जरूरी है कि आपके अधिकार सुरक्षित हो, कोई भी व्यक्ति बिना पूर्ण अधिकारों के सफलता प्राप्त नही कर सकता है। अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए अपने बच्चों को कानून की शिक्षा दे, उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, चाटेर्ड एकाउटेन्ट, आई.ए.एस. नही बनाये उन्हे कानूनविद्, मजिस्ट्रेट (आर.जे.एस., आर.एच.जे.एस.) बनाये। अन्यथा जिस आरक्षण से अपने बच्चों को पी.एम.टी., आई.आई.टी. करवाकर डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए.एस. बना रहे है वो आरक्षण एक दिन समाप्त हो जायेगा, क्योंकि डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए.एस. आरक्षण की सुरक्षा नही कर सकते इसके लिए श्रेष्ठ कानूनविद्, विधिवेता चाहिए। डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए.एस. नही । आज समाज के लोग कहते है कि हमारे समाज के वकील हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में बहस करने लायक नही है। मैं उन लोगों से इतना ही कहना चाहूंगा कि जो बच्चे परिक्षाओं में 70 या 80 प्रतिशत अंक प्राप्त करते है वे तो आरक्षण की वजह से डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए.एस. बन रहे है और जो बच्चे 40 या 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करते है वे एल.एल.बी. कर एडवोकेट बन रहे है, तो ऐसी स्थिति में हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में मजिस्ट्रेट, बेहतरीन एडवोकेट कहां से मिलेगें। आप प्रतिभावान बच्चों को कानून की शिक्षा दे तो वे आगे चलकर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में मजिस्ट्रेट तथा श्रेष्ठ अधिवक्ता बनेगें और जिससे आपके वे सारे अधिकार सुरक्षित होगें जो समाज में सम्मान से जीनें के लिए चाहिए। राजस्थान मेघवाल परिषद् |
बहुजन समाज की सेवा ही मेरा मुख्य ध्येय हैं। समाज का खोया हुआ गौरव लौटे और समाज शक्तिशाली बने। यह ही मेरा स्वप्न हैं।--- ---जय भीम जय मेघ धन कबीर जय प्रबुद्ध भारत
गुरुवार, 13 जून 2013
डॉ अम्बेडकर के होने या नही होने का क्या अर्थ है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें