आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

गुरुवार, 13 जून 2013

पैगाम था ये भीम का तुम आगे ही बढ़ो

पैगाम था ये भीम का तुम आगे ही बढ़ो,
लेकर कलम सी तलवार से अन्याय से लड़ो,
अब न वो मंजर है अब न है कोई साथी, 
आपस में ही हम करते अब हाथा-पाती,
टुकड़ों में बिखरे है आज के सब साथी,
फिर कैसे होगा उजाला कैसे होगी क्रांति,
पढ़ लिख कर देखो कैसे हुए पराये,
कोई तो जा कर उनकों तो ये समझाए
जिनकी वजह से हम इस मुकाम पर आये, 
फिर क्यों लबों पर दूजे का नाम आये, 
आने वाले कल में तुम कुछ कर के दिखाओ, 
सारे ही भारत को तुम बोधमय बनाओ, 
भीम का यही था सपना तुम पूरा उसे बनाओ, 
घर-घर में पंचशील का नारा तुम लगाओ !
जय भीम जय प्रबुद्ध भारत

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