आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

गुरुवार, 13 जून 2013

निकलती रहेगीं जय भीम की आवाजें जब तक एक कतरा भी खुन हे मेरे जिस्म में


पिछले कई हजार सालो तक कोई भी भगवान हमारी मदद करने को नहीं आया | किसी भी भगवान ने ये नहीं सोचा कि ये भी इन्सान है इनको भी जीने का अधिकार हे, उस भगवान को मै क्यों मानू ? मै  उस
इन्सान को मानता हूँ जिसने इन सभी बातो को जाना और हमको हर तरह की से मुक्ति दिलाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया | उन्होंने सारा जीवनहमको पशु से इन्सान बनाने के लिए बलिदान कर दिया और हमको इन्सान बना कर ही दम लिया |मेरे भगवान तो वही बाबा साहब है जिनकी वजह से मै आज आजाद हूँ | जिनकी वजह से मैंने शिक्षा प्राप्त की,वही मेरे भगवान है | जिनकी वजह से मै आज सिर
उठाकर चल सकता हूँ वही बाबा साहब मेरे भगवान है और मै उन बाबा साहब को नमन.....करता हु.| "
निकलती रहेगीं जय भीम की आवाजें जब तक एक कतरा भी खुन हे मेरे जिस्म में ............... ...............
.......जय भीम साथियों......

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