आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

रविवार, 26 मई 2013

मेघवंश महासभा में एकता पर दिया जोर


मेघवंश महासभा में एकता पर दिया जोर


आहोर

माधोपुरा में अंबेडकर सेना व मेघसेना के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा इंडिया के जन जागरण अभियान के तहत जनसभा का आयोजन 26 May-2013 शुक्रवार दोपहर को राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा अध्यक्ष गोपाल डेनवाल के मुख्य आतिथ्य, योगेंद्र मकवाना की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जनसभा के दौरान डेनवाल ने कहा कि आज के समय में जिस समाज का राज चलता है, वह समाज उभर कर सामने रहता है। राजस्थान में मेघवंश 56 जाति उपजातियों में बिखरे हुए है। अगर वह सब जुट होकर खड़े हो जाए तो पूरे प्रदेश भर में करीबन एक करोड़ 40 लाख मतदाता वाला मेघवंश समाज बड़ा कहलाया जा सकता है। योगेंद्र मकवाना ने कहा कि समाज में एकता का अभाव है, इसलिए समाज को एकजूट होकर रहना होगा। उन्होंने समाज में राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक उन्नति पर बल देने की बात कही।
इस अवसर पर पूर्व जिला परिषद सदस्य मांगीलाल मेघवाल, सेताराम भैसवाड़ा, महेन्द्र बाला, गणेशाराम, लकमाराम, दलाराम, भुदरमल माण्डवला  सहित समाज के कई लोग मौजूद थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें