बता रे पंडित ज्ञानी कौन चाम से न्यारा ..चाम का ब्रह्मा, चाम का विष्णु, चाम का सकल पसारा..
चाम का योगी, चाम का भोगी, चाम का गुरु तुम्हारा...
कह रैदास सुनो रे पंडित ज्ञानी, चाम का गुरु नाही हमारा...”
“जब देखा तब चामे चाम, मंदिर मट खोले राम ..
चाम का ऊंट, चाम का नगारा, चामे चाम बजा बनहारा...
चाम का बछड़ा, चाम की गाय, चामे चाम दुहावन जाय...
चाम का घोडा, चाम का जिन, चामे चाम करे तालीम..
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