आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

गुरुवार, 27 जून 2013

बाबा साहेब की हिम्मत को ,सौ-सौ बार प्रणाम !


बन के सिंह दहाड़े बाबा ,
कितने शूर पछाड़े बाबा ,
दुर्लभ चिंतन और मनन से ,
मनु के गणित बिगाड़े बाबा !
जला दिया कानून पुराना ,मिला बहुत आराम !
बाबा , सौ-सौ बार प्रणाम !
सबके जीवन दर्पण बाबा ,
सब कुछ तुमको अर्पण बाबा ,
नेक राह दिखलाने वाले ,
युग द्रष्टा आकर्षण बाबा !
सुबह जागते ही होंठो पे ,बाबा तेरा नाम !
बाबा ,सौ-सौ बार प्रणाम !!

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