आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

मंगलवार, 21 मई 2013

परिणय सूत्र में बंधे 31 जोड़े


मारवाड़ मेघवाल समाज सेवा संस्थान परगना जैतारण के तत्वावधान व संत केवलराम महाराज केवल अपरोक्ष आश्रम सोजत के सानिध्य में सोमवार को कुशालपुरा के अलखदेव मंदिर पर मेघवाल समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन में समाज के 31 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। आशीर्वाद समारोह के बाद दुल्हनों की विदाई के साथ ही पिछले नौ दिन से चल रहा आयोजन समाप्त हुआ। सुबह सात बजे प्रारंभ हुआ कार्यक्रम दोपहर करीब चार बजे समाप्त हुआ। इस बीच समाजबंधुओं ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया। 


कलशयात्रा के साथ निकली बंदौली 



सुबह सात बजे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कुशालपुरा से बंदौली और कलशयात्रा दोनों एक साथ रवाना हुए। 31 घोड़ों पर सवार दूल्हों के आगे सिर पर कलश रख कर चलती महिलाओं और हाथी पर सवार संत केवलराम महाराज और शिवराम सोलंकी पर मुख्य बाजार में जमकर पुष्प वर्षा की। बस स्टैंड पर भी विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने कलशयात्रा का स्वागत किया। 





लखदेव मंदिर पहुंच दूल्हों ने तोरण की रस्म अदा की और परिणय बंधन के लिए चंवरियों में विराजे। 



मंत्रोच्चार के बीच हुई वरमाला और फेरे 



चंवरियों में पहले वरमाला का आयोजन किया गया। वेद मंत्रों के बीच वर-वधुओं ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई तो पूरा पांडाल अलखदेव के जैकारों से गूंज उठा। तेज गर्मी के बावजूद लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। लोगों ने नव वधुओं को आशीर्वाद दिया और उनके सुखद भविष्य की कामना की। इसके बाद आचार्य के दिशा निर्देशों पर चलते हुए सभी वधुओं के माता-पिता ने हवन कुंड में आहुतियां देते हुए अपनी बेटी का कन्यादान किया। नवविवाहित जोड़ों ने सात फेरे लेकर सात जन्म तक विवाह बंधन में बंधे रहने का संकल्प लिया। 



अतिथियों का हुआ स्वागत 



परिणय सूत्र में बंधन के बाद बाहर से आए अतिथियों का विवाह समिति की ओर से स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि संत केवलराम महाराज, अध्यक्ष शिवराम सोलंकी, विशिष्ट अतिथि वी.आर. थापर, आयकर अधिकारी दिल्ली मोतीराम मेघवाल और पूर्व रेलवे अधिकारी पी.आर. राठी का भीखाराम सोलंकी और संस्था सदस्यों ने माला व साफा पहनाकर स्वागत किया। 

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