आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

संत श्री परमानन्दजी महाराज (रणजीत आश्रम बालोतरा) sant shree parmanndji maharaj ranjit aashrm balotra



श्री श्री १ ० ० ८ श्री बह्मनिष्ट स्वामी
 श्री  परमानन्दजी 
महाराज






महान संत श्री परमानन्दजी का जन्म 
राजस्थान की धन्य धरा पर जालोर जिले के कनियाचल (सवर्णगिरी)पर्वत की गोद में जालोर से मात्र 1 8 km दुर जालोर बाड़मेर रोड पर  स्थित माण्डवला (mandwala)नामक गाँव में  विराश (चौहान )गोत्रीय श्री वजारामजी के घर पर श्री मति मोती देवी की कोख से विक्रम संवत 1997 की श्रावण सुद 14 को हुआ था !आप चार भाई हंजाराम,पताराम,मंगनाराम ,वेलाराम थे !आपका सांसारिक नाम श्री पताराम था !आपके पिताजी कपडा बुनाई का काम करते थे ,जिसमे आप पिताजी के काम  में हाथ बंटाते थे लेकिन आपका मन तो प्रभु भक्ति में लगा रहता था,आपको साधू संतो की संगत का मोह था !18 वर्ष की उम्र में आप घर छोड़कर गाँव खेड़ा (सरदारगढ़)में एक चोधरी के यंहा पर नोकरी (हाली ) करने लगे !जंहा पर महान  योगी श्री केशरनाथ जी महाराज सिरे मंदिर पीठ जालोर तपस्या करते थे !
उनको देखकर पताराम के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया ,नोकरी (हाली ) का काम छोड़कर  आप  विक्रम संवत 2024 को आप माण्डवला आ गये !और इसी वर्ष आपने अपने घर पर ही चातुर्मास किया!और अगले 2 वर्ष अपने कुए पर ही चातुर्मास (खड़ी तपस्या)की ! विक्रम संवत 2027 में आप मेघवाल संत श्री मिठुरामजी महाराज के साथ बालोतरा में रामस्नेही संत श्री महंत रणछारामजी के पास जाकर अपने को इस सांसारिक मोह माया से मुक्त करअपने आप को महाराज के चरणों में स्थान दिलवाने की प्रार्थना की ,मेघवाल संत श्री मिठुरामजी के अनुनय -विनय से महंत रणछारामजी ने आपको शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया !
रणछारामजी महाराज ने खूब साहित्य रचना की व


अपनी वाणियो एवम प्रवचनों समाज सुधार के कार्य 



किये !स्वामी रणछारामजी महाराज वेदों के महान 



ज्ञाता थे ,जिनका भी पूरा सानिध्धय मिला जिनकी 



निश्रा में आपने वेद  ,पुराण,उपनिषद ,रामायण ,गीता



का गहन अध्धयन कर इश्वर प्राप्ति के मार्ग को 



प्रशस्त किया !गुरु की सेवा करते हुए आप महाराज के



 इतने निकट आ गये की महाराज ने अपने प्रिय शिष्य



को अपना उतराधिकारी घोषित कर दिया  !


गुरुवर श्री रणछारामजी के देवलोक होने पर आप विक्रम संवत 2032 में गुरुगादी पर विराजमान हुए !आपने रामद्वारा का निर्माण कर विस्तार करवाया ,और समाज हित में कार्य करते रहे !
विक्रम संवत  2058 चेत्र वदी 12 मंगलवार दिनाक 9 फरवरी 2002 को आप श्री ने नश्वर शरीर  को छोड़ शिव लोक को प्रयाण कर गये !  
स्वर्गीय स्वामी परमानन्दजी महाराज के शिष्य वर्तमान गादीपति महंत श्री अमृत रामजी महाराज 
राम स्नेही सम्प्रदाय के महान ब्रह्म निष्ठ संत स्वामी रणछा रामजी  महाराज 


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