आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

अपनों का अहसास

एक व्यक्ति office में देर रात तक काम करने के बाद थका -हारा घर पहुंचा .देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजायेउसका इंतज़ार कर रहा है .अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा , क्या मैं आपसेएक question पूछ सकता हूँ ?”आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?”“ इससे तुम्हारा क्या लेना देना … पिता ने उत्तरदिया .बेटा - “ मैं बस यूँही जानना चाहता हूँ . Pleaseपिता ने उसकी तरफ देखते हुए कहा , “ 100रुपये .”“ पापा क्या आप मुझे 50 रूपये उधार दे सकते हैं ?”इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो उठा , “तो तुम इसीलिए ये फ़ालतू का सवाल कर रहे थे….चुप –चापअपने कमरे में जाओ और सो जाओ …यह सुन बेटे की आँखों में आंसू आ गए …और वह अपनेकमरे में चला गया .आध घंटा बीतने के बाद वहथोडा शांत हुआ ,क्योंकि आज से पहले उसने कभी इस तरह सेपैसे नहीं मांगे थे .फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , “क्या तुम सो रहे हो ?”,“ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांटदिया ,“I am sorry….ये लो पचास रूपये .”उसने अपने बेटे के हाथ में पचास की नोटरख दी .“Thank You पापा ” बेटा ख़ुशी से पैसे लेते हुएकहा , और फिर वहअपनी आलमारी की तरफ गया , वहां से उसने ढेर सारेसिक्के निकाले और उन्हें गिनने लगा .“ जबतुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तो तुमने मुझसे औरपैसे क्यों मांगे ?”“ क्योंकि मेरे पास पैसे कम थे ,“ पापा अब मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैंआपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? Please आप येपैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी आ जाइये , मैंआपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ .”दोस्तों , इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुदको इतना busy कर लेते हैं कि उन लोगो के लिएही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसेज्यादा importance रखते हैं. इसलिए हमे अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों के लिएसमय निकालें, वरना एक दिन हमें भी अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुतबड़ा खो दिया..
अपनों का अहसास 

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