भंवर मेघवंशी की कलम से
{ जय भीम की सेना -1 }
सामंतवाद के गढ़ में लड़ता एक निडर भीमसैनिक
“ कोई साथ दे या ना दे ,मैं लडूंगा और जीतूँगा – भगवाना राम मांडवला “
दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान के जालोर जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित गाँव मांडवला के 46 वर्षीय भगवाना राम वैसे तो कमठा मजदूर है .परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने की वजह से उन्हें 1984 में आठवीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद पढाई छोड़ कर काम करने जाना पड़ा .तब से अब तक वे मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते है .आजकल उन्होंने राजमिस्त्री के काम में ही छोटे मोटे ठेके लेना शुरू कर दिए है ,जिससे उन्हें परिवार चलने लायक आमदनी हो जाती है . कहने का मतलब सिर्फ यह है कि भगवाना राम अत्यंत साधारण पृष्ठभूमि से आते है मगर बाबा साहब के मिशन को समझ कर काम असाधारण करते है . सबसे खास बात यह है कि आजकल वे सामंतवाद को सीधे सीधे चुनौती दे रहे है .
भगवाना राम वर्ष 2005 में बसपा नेता धर्मवीर अशोक के संपर्क में आये तो बाबा साहब के मिशन के बारे में जानने का मौका मिला ,फिर उन्होंने बामसेफ के कुछ केडर लिये . इससे उन्हें समझ में आया कि दलित समुदाय का भला डॉ अम्बेडकर को अपनाने से ही होगा .जल्द ही उनमें बाबा साहब के विचारों को ज्यादा से ज्यादा जानने का जुनून पैदा हो गया .भगवाना राम ने बाबा साहब के सारे वोल्यूम ख़रीदे तथा उनको पढ़ कर ही माने .इतना ही नहीं बल्कि उन्हें जहाँ से भी बाबा साहब से सम्बंधित साहित्य मिला ,उसे लिया और पढ़ डाला .वे बड़े ही गर्व से बताते है कि अब उनके पास गाँव में बाबा साहब की विचारधारा के साहित्य की एक छोटी सी लाईब्रेरी हो गई है .
वर्ष 2011 में उनकी बेटी विद्या कुमारी को 12 वीं पास करने के बाद जब गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाया तो उन्होंने उसे कम्प्युटर साईंस पढ़ने एक निजी कॉलेज में प्रवेश दिला दिया .बेटी के लिए घर पर एक कम्प्यूटर भी ले आये और इंटरनेट के लिए डाटा कार्ड भी ले आये .इस तरह इस अत्यंत साधारण पृष्ठभूमि के दलित परिवार तक इंटरनेट की पंहुच हो गई . भगवाना राम सुबह शाम अपनी बेटी के साथ बैठ कर कम्प्यूटर सीखने लगे ,नेट चलाने लगे .यहीं उनकी मुलाकात सोशल मीडिया के उस आभासी संसार से हुई ,जहाँ असीम संभावनाएं व्याप्त थी .उन्हें लगा कि वे बाबा साहब के मिशन की बातें इसके जरिये फैला सकते है .उन्होंने ऑरकुट पर अपना खाता खोला ,मगर ज्यादा लोग उधर नहीं मिल पाए .फिर वे फेसबुक पर आये ,यहाँ उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली .हौंसला बढा .इतने में बेटी ग्रेजुएट हो गई .बेटी ने मांडवला गाँव में ही ईमित्र का सेण्टर ले लिया .
अब तो भगवाना राम के लिए और भी नेट पर काम करना सरल हो गया .वे और अधिक सक्रिय हो गए .और फिर आया व्हाट्सअप ,उसमें भी ग्रुप बनाने की सुविधा .भगवाना राम तथा उनके जैसे लाखों दलित बहुजन युवाओं के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर बन गया .वे लग गए बाबा के मिशन को आगे बढ़ाने में . बाबा साहब की यह साईबर आर्मी आज भी लगी हुयी देश भर में .ये लोग सोशल मीडिया पर मनुवादी तत्वों की तरह चुटकले बाज़ी में अपना वक़्त जाया नहीं करते बल्कि विचारधारा की बातों को फ़ैलाने में अपना डाटा खर्चते है .इस तरह भारत में एक मौन मगर अत्यंत प्रभावी इन्टरनेट अम्बेडकरी क्रांति आकार ले रही है .भगवाना राम भी इस क्रांति का एक हिस्सा है ,वे दिन भर कमठे पर कड़ी मेहनत करते है और शाम के वक़्त लग जाते है बुद्ध , फुले ,कबीर , अम्बेडकर तथा कांशीराम के विचारों का प्रचार प्रसार करने में .
महज 8 वीं पास यह निर्माण श्रमिक आज एक ब्लोगर भी है और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट भी . लेकिन सिर्फ इन्टरनेट वीर नहीं कि एक पोस्ट डाल कर अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्ति पा ली ,बल्कि संघर्ष के मोर्चे पर भी खड़े रहने की कला उन्होंने अपने में विकसित की है .सोशल मीडिया से लेकर सडकों तक होने वाले संघर्ष में आगेवान की भूमिका निभाने का प्रयास भगवाना राम कर रहे है .उन्होंने कुछ सुधार अपने गाँव ,अपने समुदाय तथा अपने घर से करने की शुरुआत की है .
हाल ही में 25 नवम्बर 2016 को उनकी बेटी विद्या की शादी के दौरान उन्होंने इस इलाके में व्याप्त सामंतवाद और पितृसत्ता को चुनौती देने का साहस किया है .उनके गाँव में दलित दुल्हे की बिन्दोली तो पहले भी निकली ,मगर दलित दुल्हन की घोड़ी पर बैठ कर बिन्दोली निकालने का काम पहली बार भगवाना राम ने किया .उन्होंने शान से अपनी बिटिया को घोड़ी पर बिठाया और पूरे गाँव में बारात निकाल दी .
रात में यह किया और सुबह सोशल मीडिया पर सारे फोटो अपलोड कर दिये .आस पास के गांवों में रहने वाले सामंती तत्वों को भगवाना राम की यह हरकत बेहद नागवार गुजरी ,उन्हें लगा कि यह तो उनकी सामंती सत्ता को सीधी चुनौती है ,जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए .
सामंतशाही के गढ़ इस इलाके के समाजकंटकों ने भगवाना राम को ऑनलाइन धमकाना शुरू किया .जातिसूचक गालियां दी .मारपीट की धमकी दी .मगर जब उन्हें लगा कि यह आदमी तो डर ही नहीं रहा है ,तब उन्होंने फोन करके भगवाना राम के परिवार की महिलाओं का अपहरण करने और उनको जान से ख़त्म तक कर देने की धमकियाँ दे डाली .
जो लोग यह कहते है कि इस देश से जातिवाद ख़त्म हो गया है ,उनको भगवाना राम के इलाके में जा कर देखना चाहिये कि वहां आज भी पाषाणकालीन युग की मानसिकता वाले लोग बैठे है ,जिनको दलितों के सोशल मीडिया में फोटो तक सहन नहीं हो पाते है और वो समाजविरोधी तत्व मरने मारने पर तक उतारू हो जाते है .
खैर ,बाबा साहब की शिक्षा नामक शेरनी का दूध पीकर निर्भीक हो चुके भीमसैनिक भगवाना राम इन गीदड़ भभकियों से डरे नहीं ,वे पुलिस थाना जालोर पंहुचे और धमकी दे रहे सामंती तत्वों के विरुद्ध मुक़दमा क्रमांक 353/2016 ,धारा 506 भादस .धारा 67 आईटी एक्ट तथा धारा 3 (1) (यू ) ( डब्ल्यू ) 3(1) प ,ब (2) के तहत दर्ज करवा दिया .साथ ही अपने साथ हुयी घटना से भी सोशल मीडिया के जरिये सभी को सूचना दे दी .एक ही दिन में मामला पूरे राजस्थान में फैल गया ,जगह जगह से भगवाना राम के पक्ष में आवाज़े बुलंद होने लगी .कई जगहों पर ज्ञापन भी दिये गए और पुख्ता कार्यवाही की मांग की गयी .
प्रशासन पर दबाव बना ,पुलिस ने भी अपेक्षा से अधिक इस मामले में पूरी सक्रियता बरती .ढंग से अनुसन्धान हुआ तथा हाल ही में 29 सामंती तत्वों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश कर दिए .अब इन आरोप प्रमाणित आरोपियों की गिरफ्तारी होनी है . खबर मिली है कि सारे आरोपी अपने कायरपन का परिचय देते हुये दुम दबाकर दक्षिण भारत की तरफ भाग गये है,जिनको पकड़ने के लिये पुलिस कुछ टीमें गठित कर रही है ,उम्मीद है कि ये वीर बहादुर सामंत शीघ्र ही सलाखों के पीछे नज़र आयेंगे.
भगवाना राम इस सफलता से उत्साहित है .वैसे भी वे पढ़े लिखे साधन संपन्न नौकरीपेशा पीड़ित दलितों की भांति जल्दी निराश नहीं होते है ,मंचों पर जाकर रोते तो बिल्कुल भी नहीं है ,उन्होंने बाबा साहब की विचारधारा के आधार पर संघर्ष करने का सूत्र अपना लिया है .उनका साफ कहना है कि – “ कोई साथ दे तब भी लडूंगा , ना दे तो भी मैं लडूंगा और मुझे पक्का भरोसा है कि सामंतवाद के खिलाफ़ इस लड़ाई में मैं जीत कर रहूँगा “
पता नहीं क्यों मुझे भाई भगवाना राम जैसे हौंसले वाले संघर्षशील लोग बहुत पसंद है .हर वक़्त शिकायत करने वाले ,रोने वाले ,मिमियाने वाले शाश्वत पीड़ित दलितों में मेरी कभी कोई रूचि रही भी नहीं है . मैं जातिवादी सामन्तवादी भेड़ियों की आँखों में ऑंखें डाल कर मोर्चे पर लड़ रहे भगवाना राम जैसे भीमसैनिकों से ही प्रेरणा लेता हूँ और उन्हें लाख लाख सेल्यूट करता है .
क्रांतिकारी जय भीम भगवाना राम जी ,आप जैसे साधारण मगर असाधारण भीम सैनिकों की हिम्मत की वजह से ही यह जय भीम की सेना निरंतर आगे बढ़ी है और आज भी आगे बढ़ रही है .आपके जीवट को प्रणाम .आपके संघर्ष को सलाम .
- भंवर मेघवंशी
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता है तथा राजस्थान में वंचित समूहों के प्रश्नों पर कार्यरत है ,उनसे bhanwarmeghwanshi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )
{ जय भीम की सेना -1 }
सामंतवाद के गढ़ में लड़ता एक निडर भीमसैनिक
“ कोई साथ दे या ना दे ,मैं लडूंगा और जीतूँगा – भगवाना राम मांडवला “
दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान के जालोर जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित गाँव मांडवला के 46 वर्षीय भगवाना राम वैसे तो कमठा मजदूर है .परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने की वजह से उन्हें 1984 में आठवीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद पढाई छोड़ कर काम करने जाना पड़ा .तब से अब तक वे मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते है .आजकल उन्होंने राजमिस्त्री के काम में ही छोटे मोटे ठेके लेना शुरू कर दिए है ,जिससे उन्हें परिवार चलने लायक आमदनी हो जाती है . कहने का मतलब सिर्फ यह है कि भगवाना राम अत्यंत साधारण पृष्ठभूमि से आते है मगर बाबा साहब के मिशन को समझ कर काम असाधारण करते है . सबसे खास बात यह है कि आजकल वे सामंतवाद को सीधे सीधे चुनौती दे रहे है .
भगवाना राम वर्ष 2005 में बसपा नेता धर्मवीर अशोक के संपर्क में आये तो बाबा साहब के मिशन के बारे में जानने का मौका मिला ,फिर उन्होंने बामसेफ के कुछ केडर लिये . इससे उन्हें समझ में आया कि दलित समुदाय का भला डॉ अम्बेडकर को अपनाने से ही होगा .जल्द ही उनमें बाबा साहब के विचारों को ज्यादा से ज्यादा जानने का जुनून पैदा हो गया .भगवाना राम ने बाबा साहब के सारे वोल्यूम ख़रीदे तथा उनको पढ़ कर ही माने .इतना ही नहीं बल्कि उन्हें जहाँ से भी बाबा साहब से सम्बंधित साहित्य मिला ,उसे लिया और पढ़ डाला .वे बड़े ही गर्व से बताते है कि अब उनके पास गाँव में बाबा साहब की विचारधारा के साहित्य की एक छोटी सी लाईब्रेरी हो गई है .
अब तो भगवाना राम के लिए और भी नेट पर काम करना सरल हो गया .वे और अधिक सक्रिय हो गए .और फिर आया व्हाट्सअप ,उसमें भी ग्रुप बनाने की सुविधा .भगवाना राम तथा उनके जैसे लाखों दलित बहुजन युवाओं के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर बन गया .वे लग गए बाबा के मिशन को आगे बढ़ाने में . बाबा साहब की यह साईबर आर्मी आज भी लगी हुयी देश भर में .ये लोग सोशल मीडिया पर मनुवादी तत्वों की तरह चुटकले बाज़ी में अपना वक़्त जाया नहीं करते बल्कि विचारधारा की बातों को फ़ैलाने में अपना डाटा खर्चते है .इस तरह भारत में एक मौन मगर अत्यंत प्रभावी इन्टरनेट अम्बेडकरी क्रांति आकार ले रही है .भगवाना राम भी इस क्रांति का एक हिस्सा है ,वे दिन भर कमठे पर कड़ी मेहनत करते है और शाम के वक़्त लग जाते है बुद्ध , फुले ,कबीर , अम्बेडकर तथा कांशीराम के विचारों का प्रचार प्रसार करने में .
महज 8 वीं पास यह निर्माण श्रमिक आज एक ब्लोगर भी है और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट भी . लेकिन सिर्फ इन्टरनेट वीर नहीं कि एक पोस्ट डाल कर अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्ति पा ली ,बल्कि संघर्ष के मोर्चे पर भी खड़े रहने की कला उन्होंने अपने में विकसित की है .सोशल मीडिया से लेकर सडकों तक होने वाले संघर्ष में आगेवान की भूमिका निभाने का प्रयास भगवाना राम कर रहे है .उन्होंने कुछ सुधार अपने गाँव ,अपने समुदाय तथा अपने घर से करने की शुरुआत की है .
हाल ही में 25 नवम्बर 2016 को उनकी बेटी विद्या की शादी के दौरान उन्होंने इस इलाके में व्याप्त सामंतवाद और पितृसत्ता को चुनौती देने का साहस किया है .उनके गाँव में दलित दुल्हे की बिन्दोली तो पहले भी निकली ,मगर दलित दुल्हन की घोड़ी पर बैठ कर बिन्दोली निकालने का काम पहली बार भगवाना राम ने किया .उन्होंने शान से अपनी बिटिया को घोड़ी पर बिठाया और पूरे गाँव में बारात निकाल दी .
रात में यह किया और सुबह सोशल मीडिया पर सारे फोटो अपलोड कर दिये .आस पास के गांवों में रहने वाले सामंती तत्वों को भगवाना राम की यह हरकत बेहद नागवार गुजरी ,उन्हें लगा कि यह तो उनकी सामंती सत्ता को सीधी चुनौती है ,जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए .
सामंतशाही के गढ़ इस इलाके के समाजकंटकों ने भगवाना राम को ऑनलाइन धमकाना शुरू किया .जातिसूचक गालियां दी .मारपीट की धमकी दी .मगर जब उन्हें लगा कि यह आदमी तो डर ही नहीं रहा है ,तब उन्होंने फोन करके भगवाना राम के परिवार की महिलाओं का अपहरण करने और उनको जान से ख़त्म तक कर देने की धमकियाँ दे डाली .
जो लोग यह कहते है कि इस देश से जातिवाद ख़त्म हो गया है ,उनको भगवाना राम के इलाके में जा कर देखना चाहिये कि वहां आज भी पाषाणकालीन युग की मानसिकता वाले लोग बैठे है ,जिनको दलितों के सोशल मीडिया में फोटो तक सहन नहीं हो पाते है और वो समाजविरोधी तत्व मरने मारने पर तक उतारू हो जाते है .
खैर ,बाबा साहब की शिक्षा नामक शेरनी का दूध पीकर निर्भीक हो चुके भीमसैनिक भगवाना राम इन गीदड़ भभकियों से डरे नहीं ,वे पुलिस थाना जालोर पंहुचे और धमकी दे रहे सामंती तत्वों के विरुद्ध मुक़दमा क्रमांक 353/2016 ,धारा 506 भादस .धारा 67 आईटी एक्ट तथा धारा 3 (1) (यू ) ( डब्ल्यू ) 3(1) प ,ब (2) के तहत दर्ज करवा दिया .साथ ही अपने साथ हुयी घटना से भी सोशल मीडिया के जरिये सभी को सूचना दे दी .एक ही दिन में मामला पूरे राजस्थान में फैल गया ,जगह जगह से भगवाना राम के पक्ष में आवाज़े बुलंद होने लगी .कई जगहों पर ज्ञापन भी दिये गए और पुख्ता कार्यवाही की मांग की गयी .
प्रशासन पर दबाव बना ,पुलिस ने भी अपेक्षा से अधिक इस मामले में पूरी सक्रियता बरती .ढंग से अनुसन्धान हुआ तथा हाल ही में 29 सामंती तत्वों के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश कर दिए .अब इन आरोप प्रमाणित आरोपियों की गिरफ्तारी होनी है . खबर मिली है कि सारे आरोपी अपने कायरपन का परिचय देते हुये दुम दबाकर दक्षिण भारत की तरफ भाग गये है,जिनको पकड़ने के लिये पुलिस कुछ टीमें गठित कर रही है ,उम्मीद है कि ये वीर बहादुर सामंत शीघ्र ही सलाखों के पीछे नज़र आयेंगे.
भगवाना राम इस सफलता से उत्साहित है .वैसे भी वे पढ़े लिखे साधन संपन्न नौकरीपेशा पीड़ित दलितों की भांति जल्दी निराश नहीं होते है ,मंचों पर जाकर रोते तो बिल्कुल भी नहीं है ,उन्होंने बाबा साहब की विचारधारा के आधार पर संघर्ष करने का सूत्र अपना लिया है .उनका साफ कहना है कि – “ कोई साथ दे तब भी लडूंगा , ना दे तो भी मैं लडूंगा और मुझे पक्का भरोसा है कि सामंतवाद के खिलाफ़ इस लड़ाई में मैं जीत कर रहूँगा “
पता नहीं क्यों मुझे भाई भगवाना राम जैसे हौंसले वाले संघर्षशील लोग बहुत पसंद है .हर वक़्त शिकायत करने वाले ,रोने वाले ,मिमियाने वाले शाश्वत पीड़ित दलितों में मेरी कभी कोई रूचि रही भी नहीं है . मैं जातिवादी सामन्तवादी भेड़ियों की आँखों में ऑंखें डाल कर मोर्चे पर लड़ रहे भगवाना राम जैसे भीमसैनिकों से ही प्रेरणा लेता हूँ और उन्हें लाख लाख सेल्यूट करता है .
क्रांतिकारी जय भीम भगवाना राम जी ,आप जैसे साधारण मगर असाधारण भीम सैनिकों की हिम्मत की वजह से ही यह जय भीम की सेना निरंतर आगे बढ़ी है और आज भी आगे बढ़ रही है .आपके जीवट को प्रणाम .आपके संघर्ष को सलाम .
- भंवर मेघवंशी
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता है तथा राजस्थान में वंचित समूहों के प्रश्नों पर कार्यरत है ,उनसे bhanwarmeghwanshi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )
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