आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

रविवार, 20 अक्टूबर 2013

baba saheb

भीम होते तो अन्याय भी ज्यादा नहीं होता,
ये एकता का चाँद भी आधा नहीं होता,
आगे कोई न आता मेरे बाबा भीम के,
मगरूर न होता कोई, दादा नहीं होता,

तेरा ये जहान है, बाबा की तू शान है, क्रांति का तूफान है, 

आगे-आगे बढ़ना तू भीम की संतान है,
भीम की ताकत बांहों में तेरी,
क्रांति छलके आहो में तेरी,
तेरा जिगर है शेर का प्यारे,
देता जा जय भीम के नारे,
आगे-आगे बढ़ना तू भीम की संतान है,

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