आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

मंगलवार, 18 जून 2013

हे ! मेघ ऋषि की सन्तान तु अपने आप को पहचान


हे ! मेघ ऋषि की सन्तान

तु अपने आप को पहचान


इस जगत मे था नर नग्न


खाता पीता व मस्ती मे मग्न

आखिर पम्पा सरोवर के पास

जगी नग्नता बचाने की आस

माता मेघणी ने काता सुत

बुनने मे ऋषि मेघ गये जुत

कहलाये ताना बाना करके "बुनकर"

तो कही सुत्रौ को एक कर "सुत्रकार"

कभी जगत न कहा "जुलाहा"

तो कभी "मेघरिख" नाम से बुलाहा

बने मानव इज्जत के रखवाल

धरती पर यो आये "मेघवाल"



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