आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

राजस्थान मेघवाल समाज-एक परिचय



हम मेघवाल हैं मेघवाल रहेंगे-आर.पी. सिंह


मेघवंश समाज अनेक टुकड़ों में बंटा हुआ है।  
ये अनेक टुकड़े अपने को एक दूसरे से अलग 
 समझने लगे तथा एक दूसरे से ऊंचा बनने 
की होड़ में अपनी संगठन शक्ति खो बैठे हैं। मेघवंशी,भांबी,बलाई,सूत्रकार,जाटा,मारू, बुनकर,सालवी,मेघ,मेघवाल,मेघरिख,चांदौर,
जाटव,बैरवा इत्यादि पर्यायवाची उपनामित 
जातियां स्वयं को एक दूसरे से अलग एवं 

ऊंचा मानकर आपस में लड़ती रहती हैं।

यदि ये सब उपजातियां केवल एक जाति के 

रूप में संगठित हो जाएं तो वे अपने जीवन में
 एक बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं। ये सोच
 उभरी तो इसके क्रियान्वयन के लिए अनेक 
शुभचिंतकों व गुरुओं ने समाज को केवल एक
 मेघवाल नाम देकर संगठित करने का प्रयास 
किया, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए। 
12 सितंबर 1988 को राजस्थान मेघवाल 

समाज नाम की इस संस्था का पंजीकरण कराया गया।

प्रारंभिक संस्थापकों ने समाज को जोडऩे का 

खूब प्रयास किया। लेकिन इनकी अन्य कार्याे 
में व्यस्तता के कारण यह संस्था मृतप्रायः हो 
गई। इस संस्था में प्राण फूंकने के उद्देश्य से 
27 अप्रैल 2004 को जयपुर में बैठक आयोजित 
की गई। संस्था का संरक्षक श्री रामफल सिंह को 
बनाया गया। उद्देष्य हैं कि उपजातियां अपने 
आपस के वर्ग भेद मिटाकर पुनः अपने मूल 
मेघवंश रूप मेघवाल नाम को स्वीकारें और 
अपनी जाति पहचान को संगठित,सृदृढ़ और 
अखंड बनाए रखने के लिए अब मेघवाल नाम 

के नीचे एक हो जाएं।

समाज के कुछ लोग इसका विरोध करते हैं। 

उनका कहना है कि बलाई,बैरवा,जाटव इत्यादि
 मेघवाल क्यों बनें। इस बारें में संरक्षक
 श्री रामफल सिंह का सुझाव है कि जब ब्राह्मण

 समाज में 52 उपनामित जातियां हैं। लेकिन 
वे सभी सर्व ब्राह्मण महासभा के बैनर के नीचे 
बैठकर समाज हित में चिंतन कर सकते हैं। 
एकता के दावों के साथ अपने अधिकार की मांग
 करते हैं तो हम एक बैनर तले आने में संकोच

 क्यों करते हैं।

गुर्जर समाज का एक और उदाहरण देखिए। एकता 

की बात आई तो गुर्जर समाज ने उपजाति तो क्या 
धर्म को भी भुला दिया और क्रिकेट खिलाड़ी
 अजहरूद्दीन,फिल्म एक्टर अक्षय कुमार और 
दौसा से चुनाव लड़े कमर रब्बानी चौची तक को 
गुर्जर भाई माना। कोई भी लड़ाई दिमाग से लड़ी

 जाती है।

यदि दिमाग के स्तर पर हार जाता है तो वह मैदान

 में कोई लड़ाई नहीं जीत सकता। हमारी अब तक
 की दीन हीनता और दुरावस्था का कारण ही यह
 रहा कि हम एकजुट नहीं रहे। यानि हम दिमाग
 स्तर पर पराजित रहे हैं। क्यों नहीं हम जाति को
 ही हथियार बनाकर अपने अधिकारों के लिए 
सार्थक ढंग से लड़ाई लड़ें। इसके लिए मेघवंश
की एकता मजबूती और ताकत दे सकती है। 

हम मेघवाल हैं मेघवाल रहेंगे।

संपर्क-

श्री आर.पी. सिंह, संरक्षक, राजस्थान मेघवाल समाज (रजि. संख्या 224/जय/88-89)73, अरविंद नगर, सी,बी,आई. कालोनी, जगतपुरा, जयपुर. मो. 9413305444, 0141-2750660
श्री झाबर सिंह, बी-31, अध्यक्ष, राजस्थान मेघवाल समाज (रजि.), कैंप कार्यालय, संजय कालोनी, नेहरू नगर, आरपीए के सामने, जयपुर, मो. 9414072495, 9829058485

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