'"मेघवाल समाज जाग्रति और हमारी बेडिया""
आज मुझे बड़ा हर्ष हो रहा हैं कि मेघवाल समाज में जाग्रति आ रही हैं !
आज मेघवाल समाज में छोटे से लेकर बड़े पद पर अफसर मिलेगे ,वार्ड मेंबर से लेकर मंत्री पद पर आसीन मिलेगे ! बड़ी ख़ुशी हो रही हैं मेरे मन में कि समाज शिक्षित हो रहा हैं ,आगे बढ़ रहा हैं !मैं तहेदिल से बारम्बार प्रणाम करता हूँ,उन महा पुरुषो को जिन्होंने हमें शिक्षित करने के लिए अपना पूरा जीवन नयोछावर कर दिया !उन्होंने बहुत कठिनाइयो उठाई ,जेल गए एव सजा काटी और जीवन कुर्बान कर दिया !हमे गलत परम्परा से बाहर निकल !हमें शिक्षित करने के लिए महामना "ज्योतिबा फुले "ने सन 1859 में स्कुल खोला तथा रेवेन्यु कमिश्नर रिव्ह्ज साहब ने उनकी मदद कि !उन उदार ग्रहस्थी महात्माओ के उपकारो से मुक्त ओने के लिए अछूत दलित वर्ग अपने शरीर के चमड़े कि जुतिया बनाकर उनके पाँव में पहनाये तब भी हम उनके उपकारो से मुक्त नही हो सकते !हमारे लिए "बाबा साहब डा० भीम राव अम्बेडकर "ने अपने धर्म तक का त्याग कर दिया और हमे बन्धनों से आजाद होने का एक सपना दिखाया था !
क्या वो सपना पूरा हो गया ?
क्या हमने पूरी आजादी प्राप्त कर ली ?
क्या हम सारे बन्धनों से मुक्त हो गये ?
हम अभी भी कई बन्धनों कि बेडियो से जकड़े पड़े हैं !सामाजिक कुरीतिया दिन -दिन बढ़ रही हैं ,जेसे सुरसा का मुंह हो ,और हम उसमे समाते जा रहे हैं और हमे पता ही नही!
1 पहली बेडी--नशा जिस समाज में नशा होगा कभी आगे नही बढ़ सकता !हमें अपने परिवार तथा समाज में पूर्णरूप से नाशो पर प्रतिबंध लगाना होगा !शराब अम्ल (अफीम )गाँजा ,डोडा पोस्त,पिने वाले आदमी न तो परिवार का भला कर सकते हैं नही समाज का !आखिर वे बुढ़ापे में रोगी हो जाते हैं और इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता हैं वो परिवार कभी कर्ज से मुक्त नही हो पाते! इसलिए कहा भी हैं की --*ऋण करता पिता दुश्मन *व्याभिचारी माता *रूप सज्नती पत्नी दुश्मन *अज्ञानी पुत्र भ्राता *इन अवगुणों कत्याग किये बिना हम आगे नही बढ़ सकते !
2 दूसरी बेडी --दहेजप्रथा
मन की कुछ वर्षो में समाज के लोगो नेअच्छे पूंजी कमाई ,मगर क्या उनका प्रदर्शन करना जरुरी हैं ?दहेज के रूप में आजकल सोना,चंडी और रूपये देने का चलन बढा हैं !क्या हमारा दामाद सोने और रूपये मिल जाने के बाद में हमारी बेटे को खुश रखेगा ?क्या वह कमाई पर ध्यान देगा ?
इसलिए कहते भी हैं की --
नई बात नो दिन -पुराणी दिन सॉ
अगर देना हो तो शिक्षा दो,धंधा दो रोजगार !
3 तीसरी बेडी -मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )
हम सभी जानते हैं की कई जगह पर आज भी मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )होते हैं !सरकार की तरफ प्रतिबंध होते हुए भी 5 -7 दिनों तक मृत्यु भोज चलता रहता हैं !पहलेथानों में रिशवत दी जाती हैं की हमें पकड़े नही !फिर पंचों को रिश्वत दी जाती हैं की कम बिगड़े नही ! पेसा पानी की तरह भय जाता हैं ! हमारे बच्चो के अधिकार में आने वाली सम्पति को हम उनसे चीन लेते हैं !वो भी गंवार ही नही पढ़े लिखे मास्टर ,पटवारी ,वकील ,थानेदार ,नेता और अधिकारी लोग !समाज में मीटिंग करते हैं ,मोसर बंध होना चाहिए और मोका मिलते ही कुत्ते की दम की तरह वापस खड़े हो जाते हैं !
"क्या वो अपने परिवार के दुश्मन नही ?
क्या वो समाज को आगे बढा सकता हैं ?
मोसर करने वाले के मुंह पर दो दिन चमक रहती हैं पर तीसरे दिन मुंह देखने लायक होती हैं ?
*साखी- जो करो तो भलो करो ,मोसर कभी न करना !
तबर सारा दुःख पावेला,ओछी उम्र गया !
नशा ,दहेज ,मृत्यु भोज को ,त्याग करो तत्काल !
बेदिया तीनो जब त्यागेगे !
तीसरी आजादी तभी पाओगे !
दहेज त्याग बिना खुशिया नही !
मोसर त्याग बिना धन संग्रह नही !सन्मुख तीनो से मुक्त हो जय*ऋण करता पिता दुश्मन *व्याभिचारी माता *रूप सज्नती पत्नी दुश्मन *अज्ञानी पुत्र भ्राता *इन अवगुणों कत्याग किये बिना हम आगे नही बढ़ सकते !2 दूसरी बेडी --दहेजप्रथा मन की कुछ वर्षो में समाज के लोगो नेअच्छे पूंजी कमाई ,मगर क्या उनका प्रदर्शन करना जरुरी हैं ?दहेज के रूप में आजकल सोना,चंडी और रूपये देने का चलन बढा हैं !क्या हमारा दामाद सोने और रूपये मिल जाने के बाद में हमारी बेटे को खुश रखेगा ?क्या वह कमाई पर ध्यान देगा ? इसलिए कहते भी हैं की --नई बात नो दिन -पुराणी दिन सॉ अगर देना हो तो शिक्षा दो,धंधा दो रोजगार !3 तीसरी बेडी -मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )हम सभी जानते हैं की कई जगह पर आज भी मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )होते हैं !सरकार की तरफ प्रतिबंध होते हुए भी 5 -7 दिनों तक मृत्यु भोज चलता रहता हैं !पहलेथानों में रिशवत दी जाती हैं की हमें पकड़े नही !फिर पंचों को रिश्वत दी जाती हैं की कम बिगड़े नही ! पेसा पानी की तरह भय जाता हैं ! हमारे बच्चो के अधिकार में आने वाली सम्पति को हम उनसे चीन लेते हैं !वो भी गंवार ही नही पढ़े लिखे मास्टर ,पटवारी ,वकील ,थानेदार ,नेता और अधिकारी लोग !समाज में मीटिंग करते हैं ,मोसर बंध होना चाहिए और मोका मिलते ही कुत्ते की दम की तरह वापस खड़े हो जाते हैं !"क्या वो अपने परिवार के दुश्मन नही ?क्या वो समाज को आगे बढा सकता हैं ?मोसर करने वाले के मुंह पर दो दिन चमक रहती हैं पर तीसरे दिन मुंह देखने लायक होती हैं ?*साखी- जो करो तो भलो करो ,मोसर कभी न करना !तबर सारा दुःख पावेला,ओछी उम्र गया !नशा ,दहेज ,मृत्यु भोज को ,त्याग करो तत्काल !बेदिया तीनो जब त्यागेगे !तीसरी आजादी तभी पाओगे !दहेज त्याग बिना खुशिया नही !मोसर त्याग बिना धन संग्रह नही !सन्मुख तीनो से मुक्त हो जय
1 पहली बेडी--नशा जिस समाज में नशा होगा कभी आगे नही बढ़ सकता !हमें अपने परिवार तथा समाज में पूर्णरूप से नाशो पर प्रतिबंध लगाना होगा !शराब अम्ल (अफीम )गाँजा ,डोडा पोस्त,पिने वाले आदमी न तो परिवार का भला कर सकते हैं नही समाज का !आखिर वे बुढ़ापे में रोगी हो जाते हैं और इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता हैं वो परिवार कभी कर्ज से मुक्त नही हो पाते! इसलिए कहा भी हैं की --*ऋण करता पिता दुश्मन *व्याभिचारी माता *रूप सज्नती पत्नी दुश्मन *अज्ञानी पुत्र भ्राता *इन अवगुणों कत्याग किये बिना हम आगे नही बढ़ सकते !
2 दूसरी बेडी --दहेजप्रथा
मन की कुछ वर्षो में समाज के लोगो नेअच्छे पूंजी कमाई ,मगर क्या उनका प्रदर्शन करना जरुरी हैं ?दहेज के रूप में आजकल सोना,चंडी और रूपये देने का चलन बढा हैं !क्या हमारा दामाद सोने और रूपये मिल जाने के बाद में हमारी बेटे को खुश रखेगा ?क्या वह कमाई पर ध्यान देगा ?
इसलिए कहते भी हैं की --
नई बात नो दिन -पुराणी दिन सॉ
अगर देना हो तो शिक्षा दो,धंधा दो रोजगार !
3 तीसरी बेडी -मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )
हम सभी जानते हैं की कई जगह पर आज भी मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )होते हैं !सरकार की तरफ प्रतिबंध होते हुए भी 5 -7 दिनों तक मृत्यु भोज चलता रहता हैं !पहलेथानों में रिशवत दी जाती हैं की हमें पकड़े नही !फिर पंचों को रिश्वत दी जाती हैं की कम बिगड़े नही ! पेसा पानी की तरह भय जाता हैं ! हमारे बच्चो के अधिकार में आने वाली सम्पति को हम उनसे चीन लेते हैं !वो भी गंवार ही नही पढ़े लिखे मास्टर ,पटवारी ,वकील ,थानेदार ,नेता और अधिकारी लोग !समाज में मीटिंग करते हैं ,मोसर बंध होना चाहिए और मोका मिलते ही कुत्ते की दम की तरह वापस खड़े हो जाते हैं !
"क्या वो अपने परिवार के दुश्मन नही ?
क्या वो समाज को आगे बढा सकता हैं ?
मोसर करने वाले के मुंह पर दो दिन चमक रहती हैं पर तीसरे दिन मुंह देखने लायक होती हैं ?
*साखी- जो करो तो भलो करो ,मोसर कभी न करना !
तबर सारा दुःख पावेला,ओछी उम्र गया !
नशा ,दहेज ,मृत्यु भोज को ,त्याग करो तत्काल !
बेदिया तीनो जब त्यागेगे !
तीसरी आजादी तभी पाओगे !
दहेज त्याग बिना खुशिया नही !
मोसर त्याग बिना धन संग्रह नही !सन्मुख तीनो से मुक्त हो जय*ऋण करता पिता दुश्मन *व्याभिचारी माता *रूप सज्नती पत्नी दुश्मन *अज्ञानी पुत्र भ्राता *इन अवगुणों कत्याग किये बिना हम आगे नही बढ़ सकते !2 दूसरी बेडी --दहेजप्रथा मन की कुछ वर्षो में समाज के लोगो नेअच्छे पूंजी कमाई ,मगर क्या उनका प्रदर्शन करना जरुरी हैं ?दहेज के रूप में आजकल सोना,चंडी और रूपये देने का चलन बढा हैं !क्या हमारा दामाद सोने और रूपये मिल जाने के बाद में हमारी बेटे को खुश रखेगा ?क्या वह कमाई पर ध्यान देगा ? इसलिए कहते भी हैं की --नई बात नो दिन -पुराणी दिन सॉ अगर देना हो तो शिक्षा दो,धंधा दो रोजगार !3 तीसरी बेडी -मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )हम सभी जानते हैं की कई जगह पर आज भी मृत्यु भोज ,मोसर (गंगा जल )होते हैं !सरकार की तरफ प्रतिबंध होते हुए भी 5 -7 दिनों तक मृत्यु भोज चलता रहता हैं !पहलेथानों में रिशवत दी जाती हैं की हमें पकड़े नही !फिर पंचों को रिश्वत दी जाती हैं की कम बिगड़े नही ! पेसा पानी की तरह भय जाता हैं ! हमारे बच्चो के अधिकार में आने वाली सम्पति को हम उनसे चीन लेते हैं !वो भी गंवार ही नही पढ़े लिखे मास्टर ,पटवारी ,वकील ,थानेदार ,नेता और अधिकारी लोग !समाज में मीटिंग करते हैं ,मोसर बंध होना चाहिए और मोका मिलते ही कुत्ते की दम की तरह वापस खड़े हो जाते हैं !"क्या वो अपने परिवार के दुश्मन नही ?क्या वो समाज को आगे बढा सकता हैं ?मोसर करने वाले के मुंह पर दो दिन चमक रहती हैं पर तीसरे दिन मुंह देखने लायक होती हैं ?*साखी- जो करो तो भलो करो ,मोसर कभी न करना !तबर सारा दुःख पावेला,ओछी उम्र गया !नशा ,दहेज ,मृत्यु भोज को ,त्याग करो तत्काल !बेदिया तीनो जब त्यागेगे !तीसरी आजादी तभी पाओगे !दहेज त्याग बिना खुशिया नही !मोसर त्याग बिना धन संग्रह नही !सन्मुख तीनो से मुक्त हो जय
मादरचोद लोगों चमार जाति की उपजाति है मेघवाल
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