आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित शोषित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं। और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।डा.आम्बेडकर

बुधवार, 24 अप्रैल 2013

शिक्षा का अधिकार Right to education

भैया आजकल हमारी सरकार बहुत ही मजाकिया हो गयी है | जब मजाक करने को कोई नहीं मिला तो सोचा गरीबो के साथ ही मजाक कर लिया जाये और इस मजाक को नाम दिया गया शिक्षा का अधिकार | ये मजाक इस तरह का है गरीब और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो को ये भी लगे सरकार उनको आगे बढाने के लिए वास्तव में ही गंभीर और प्रयासरत है लेकिन जब गरीब इसको प्राप्त करने के लिए आगे बढे तो वो उसको परछाई के सिवाय कुछ नहीं मिले और वो अपनी बेवकूफी पर हंसने के सिवाय कुछ नहीं कर सके | इस कानून के अंतर्गत मान्यता प्राप्त सभी हिंदी और इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में २५ % सीटें गरीब और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो के लिए आरक्षित रहेंगी और उनको विद्यालय में बिल्कुल निशुल्क प्रवेश दिया जायेगा |
गरीब भी खुश सरकार हमको इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाएगी लेकिन जब वो अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए विद्यालय जायेगा तो उसको पता चलेगा अरे मैं तो परछाई के पीछे भाग रहा था | इस कानून की प्रमुख शर्ते निम्नलिखित हैं -
१. सरकारी विद्यालयों में प्रवेश के लिए कोई जगह शेष नहीं बची हो अगर सरकारी विद्यालयों में कोई जगह खाली है तो आपको अपने बच्चे का प्रवेश सरकारी स्कूल में कराना होगा और सभी जानते है सरकारी विद्यालयों की हालत क्या है ? वहां पर बच्चे पढने नहीं खेलने, मध्यान्ह भोजन करने और अध्यापको के घरेलू काम करने जाते हैं और अगर किसी भी इंसान की जरा भी हालत सही है तो वो चाहे अपने बच्चे का प्रवेश हिंदी माध्यम के निजी स्कूल में करवा देगा लेकिन सरकारी स्कूलों में नहीं करवाएगा तो सरकारी स्कूलों की खाली सीटे आपके बच्चे का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं अगर आप महँगी फीस नहीं भर सकते है तो आपको अपने बच्चे का प्रवेश सरकारी स्कूल में ही करवाना होगा |
२. आपके निवास स्थान से सरकारी स्कूल की दूरी कम से कम एक किलोमीटर या उससे अधिक हो अगर आपके निवास स्थान की दूरी सरकारी स्कूल से एक किलोमीटर से कम है तो पहले आपको अपने बच्चे का प्रवेश करवाने के लिए सरकारी स्कूल में जाना होगा और अगर वहां पर सीटे खाली हैं तो आपको अपने बच्चे का प्रवेश सरकारी विद्यालय में करवाना होगा और मैंने ऐसा कभी नहीं सुना कि सरकारी स्कूलों की सारी सीट कभी भरी हुई हो तो आपके बच्चे का प्रवेश सरकारी खर्चे पर निजी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में नहीं हो पायेगा |
हमारे क्षेत्र में सात आठ इंग्लिश मीडियम स्कूल है मैंने कभी नहीं सुना कि इन विद्यालयों की पच्चीस प्रतिशत सीटो पर गरीब बच्चो का प्रवेश हुआ हो या कोई भी सीट इस कानून के तहत भरी गयी हो | होना तो ये चाहिए था जो बच्चे इस कानून के तहत प्रवेश लेने के योग्य थे उनको इन निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाता और आरक्षित सीटे भरने के बाद बचे हुए बच्चे स्वतंत्र होते वो कहाँ पर प्रवेश ले सरकारी स्कूल में या अपने खर्चे पर निजी विद्यालयों में लेकिन सरकार को तो कानून के नाम पर गरीब लोगो के साथ मजाक करना था तो कर दिया मजाक "शिक्षा का अधिकार"

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