एक समय था जब आपको पढने लिखने का हक़ नहीं था जिस कारण आप अधिक सोच नहीं सके और आपकी सोच एक जगह स्थिर होकर रह गयी | जिसका फायदा उठाकर पाखंडी लोगो ने जमकर आपका शोषण किया और आप को ऐसी ऐसी काल्पनिक कहानियां सुनाई जिससे आप के अन्दर डर पैदा हो गया और जो उन्होंने कह दिया आपने वही सत्य माना | आपने कभी भी खुद सच्चाई को जानने या जाहिर करने की कोशिश नहीं की | यहाँ तक कि आपकी इसी अशिक्षा का फायदा उठाकर आप पर काल्पनिक भगवान और तैंतीस करोड़ देवी देवता थोप दिए गए | इतनी बड़ी संख्या में देवी देवताओ की रचना तब की गयी जब देश की कुल आबादी भी तैंतीस करोड़ नहीं थी | आप आज तक भी इन पाखंडो और अन्धविश्वासो में घिरे हुए हो | आप आज भी जागने को तैयार नहीं हो | अरे भाई आज कलयुग है | आज आप पढ़ लिख सकते हो | आज आप अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर सकते हो | कलयुग में कौवा भी मोती खा सकता है और हंस जिसको मोती खाने की आदत पड़ गयी है वो दाना दुनका चुगता फिरेगा | आपने वो गाना नहीं सुना श्री रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना पानी कौवा मोती खायेगा | अगर आपने कभी इस गाने पर ध्यान दिया होता तो आप देख सकते थे ये गाना आपको लक्षित करके ही लिखा गया था | इस गाने में आपकी तुलना कौवे से सवर्ण जातियों की तुलना हंस से की गयी है | अब कौवे का ऐसा क्या दोष है कि हमेशा ही दाना दुनका चुगेगा ? क्या वो सिर्फ इसलिए मोती नहीं खा सकता कि वो काला है ? और हंस क्या सिर्फ इसलिए मोती खायेगा कि वो सुन्दर है ? क्या सिर्फ सुन्दर होने की वजह से ही उसको मोती खाते रहने देना चाहिए ? जो मेहनत करेगा वो मोती खायेगा | कौवे का क्या दोष है जो उसको मोती से वंचित रखा जाये अगर वो अपनी मेहनत से मोती प्राप्त कर सकता है तो उसको मोती खाने का अधिकार क्यों नहीं है | तो दोस्तों ये कलयुग है इसका जमकर उपयोग करो और खूब मोती खाओ | और अन्धविश्वासो, पाखंडो को इस तरह से बाहर फेंक दो जिस तरह से घर की गन्दगी बाहर फैंकी जाती है | ये अन्धविश्वास और पाखण्ड ही हमारे लिए सबसे ज्यादा घातक है हमारे लिए | अब आपकी बारी है अब तो अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करो और इन पाखंडो और अन्धविश्वासो की धज्जियाँ उड़ा दो | इनकी सच्चाई को उजागर करने की बारी अब आपकी है कर दो सबका पर्दाफाश लेकिन शालीनता के साथ |
bahut hi shandar likha hai apne
जवाब देंहटाएंiske liye ap dhanyawad ke patra hai